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Updated on: 14 July, 2020 12:00 AM IST

उत्तर प्रदेश भी हिमीकृत सीमन का प्रयोग करना वाला है. अभी तक केरल और महाराष्ट्र में इसका प्रयोग होता है, लेकिन अब राज्य में इसके द्वारा बकरी की लगभग आधा दर्जन प्रजातियों में सुधार किया जाएगा. अभी तक हिमीकृत सीमन का प्रयोग गाय और भैंस के लिए किया जाता रहा है. बताया जा रहा है कि सेंट्रल सीड ब्रीङ्क्षडग फार्म हिसार को इसकी डोज उपलब्ध कराई जा चुकी है, जिसका प्रयोग भी सफल साबित हुआ है. बता दें कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंस्थान संस्थान ने हिमीकृत वीर्य उत्पादन इकाई में हिमीकृत सीमन की लगभग 1 लाख डोज तैयार किए हैं. इसके बाद संस्थान को कई राज्यों से ऑर्डर मिलना भी शुरू हो गय़ा है.

गरीबों लोगों की बढ़ेगी आमदनी

हमारे देश का कई किसान औऱ पशुपालक बकरी पालन से जुड़े हुए हैं, इसलिए बकरियों के 4 समूह को लेकर एक अध्ययन किया गया. इसमें पता चला है कि बकरी कम दूध देती है, इसलिए इसका पालन के लिए पाल किया जा रहा है. मगर  बकरियों की दुग्ध उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी होने पर देखा गया कि 4 बकरियों का समूह पालक को लगभग 8 लीटर तक दूध दे रहा है. इसके साथ ही 1 से 2 लीटर दूध पालक के लिए बेच रहा है. इस तरह बकरी पालक रोजाना लगभग सवा सौ रुपए की आमदनी कमा सकते हैं. इसके बाद बकरी को बेचा जा सकता है, जिससे उसकी कीमत अच्छी मिल सकती है. खास बात है कि इससे अच्छी नस्ल के बच्चे भी मिल पाएंगे.

इस तरह किया डोज तैयार

इस पर संस्थान ने 6 से 7 महीने काम किया है. बता दें कि हिमीकृत वीर्य उत्पादन इकाई में माइनस 196 डिग्री सेल्सियस तापमान पर जखराना, बरबरी, जमुनापारी, ब्लैक बंगाल, सिरोही बीटल नस्ल के बकरों का हिमीकृत सीमन तैयार किया गया है. लगभग 1 करोड़ के आसपास शुक्राणु वाले इस वीर्य की 10-10 लाख के शुक्राणु की डोज बनाई गई है. इसके बाद लगभग 50 पशु चिकित्सकों को भी प्रशिक्षित किया गया है, जिनमें कई राज्यों के चिकित्सक शामिल थे. बता दें कि इस डोज की कीमत लगभग 40 रुपए तय की गई है.

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इन राज्यों ने की मांग

  • पश्चिमी बंगाल

  • छत्तीसगढ़

  • राजस्थान

  • उत्तराखंड

  • हरियाणा

इसके अलावा कुछ एनजीओ भी मांग कर रहे हैं, जो कि विभिन्न राज्यों में इसका प्रयोग करेंगे.

यह लाभ मिलेगा

  • बकरियों में संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा.

  • नस्ल में सुधार हो पाएगा.

  • बच्चे देने की क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी.

  • बकरियों की मृत्युदर में कमी आएगी.

  • नस्ल सुधार के बाद बकरी 2 से 3 लीटर तक दूध देगी, जबकि अभी बकरी 700 से 800 मिली लीटर तक दूध देती हैं.

बाजार में आएगा बकरी के दूध का पनीर

आपको बता दें कि देश से ज्यादा विदेशों में बकरी के दूध और उससे बने उत्पादों की मांग की जाती है. इसके लिए कई इकाई स्थापित की गई हैं. इस बकरी के दूध का पनीर और अन्य उत्पाद भी तैयार किए जाएंगे. खास बात यह है कि इस योजना के जरिए पशुपालकों के लिए अच्छी नस्ल की बकरी तैयार की जाएगी. इसके बाद पशुपालक से सीधे दूध खरीदा जाएगा, जिसके द्वारा उत्पाद बनाकर बाजार में बेचे जाएंगे.

English Summary: The use of frozen semen in the breed of goats will be improved
Published on: 14 July 2020, 04:12 IST

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