मौसम की बारिश कर देती है मौसम सुहाना, चारों ओर पेड़, पौधे खिले-खिले दिखने लगते हैं, वातावरण में एक नई सी ताज़ा लहर देखने को मिलती है. मगर मानसून के साथ बीमारियों का आगमन बहुत ही आम है, मनुष्य तो अस्पताल में जाकर डॉक्टर की देखरेख में अपना इलाज करवा सकता है मगर बेजुबां अपनी बीमारी कैसे बताएं, ऐसे में पशुपालकों को बीमारी के लश्रण जानवरों में दिख सकते हैं और उसके इलाज के उपाए भी कर सकते हैं.
खुरपका- मुंहपका रोग
खुरपका और मुंहपका रोग पशुओं में तेजी से फैलने वाला विषाणु जनित रोग है, जिससे पशुओं के उत्पादन एवं कार्यक्षमता पर कुप्रभाव पड़ता है. और बता दें कि मानसून के आते ही इस रोग का खतरा पशुओं में बढ़ जाता है.
रोग के लक्षण
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पशुओं के मुंह से अत्यधिक लार टपकना
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जीभ बाहर आना, पशु का जुगाली बंद होना
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दूध उत्पादन में अत्यधिक कमी होना
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पशुओं का गर्भपात होना
बचाव के तरीके
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रोग का पता लगने पर पशु को अन्य स्वस्थ पशुओं से दूर कर देना चाहिए
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पालकों को दूध निकालने के बाद हाथ और मुंह साबुन से धोना चाहिए
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प्रभावित क्षेत्र को सोडियम कार्बोनेट घोल पानी मिलाकर धोना चाहिए
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डॉक्टर की सलाह लेकर पशु को तुरंत टीका लगवाने के साथ नियमित उपचार करवाना चाहिए
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जिस जगह पर ग्रस्त पशु को रखते हों, वहां ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कर दें
गलघोंटू
गलघोंटू एक घातक बीमारी है जो मानसून के दौरान गाय भैंसे इस बीमारी के चपेट में आ जाते हैं, आम भाषा में गलघोंटू को “घुरखा” और “ घोटुआ “ भी कहा जाता है, यह रोग पशुओं को काफी प्रभावित करती है.
रोग के प्रमुख लक्षण
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पशुओं में तेज बुखार होना और पशु की चंद घंटों के अंदर मृत्यु होना.
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भारी मात्रा में लार का बहना.
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साँस लेने में काफी दिक्कत होना.
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आँखों का लाल होना.
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घास व चारा न खाना
बचाव के तरीके
यदि पशु का इलाज समय पर शुरू कर दिया जाए तब भी इस जानलेवा बीमारी से पशु को बचाने की उम्मीद काफी कम होती है. बात करें यदि इलाज की तो सल्फाडीमीडीन, ओक्सीटेट्रासाईक्लीन एवं क्लोरम फेनीकोल जैसे एंटी बायोटिक इस रोग के खिलाफ कारगर हैं.
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बचाव
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ग्रसित पशु को तुरंत स्वस्थ पशुओं से अलग करें
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गलघोंटू रोग के कारण मरे हुए पशु को कम से कम 5 फुट गड्डे में नमक और चुना छिड़क कर दबा दें ताकि यह बीमारी फैलने से बचे.
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साल में दो बार गलघोटू रोग के लिए टीकाकरण जरूर करवाएं पहला वर्षा ऋतु शुरू होने से पहले और दूसरा सर्द ऋतु होने से पहले.
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बता दें कि मुंह खुर रोग का टीकाकरण करने से भी गलघोटू रोग निवारण संभव है.
भारत जो कि दूध का सबसे बड़ा उत्पादक माना जाता है, ऐसे में पशुओं का स्वस्थ रहना अत्यंत आवश्यक है, पशुपालकों को अपने पशुओं का बरसाती मौसम में खासा ध्यान रखना चाहिए.