आजकल बाजार में कई तरह की मछली बिकती है. जिसके चलते इनकी मांग भी धड़ल्ले से होती है, इसलिए मछली पालने से अच्छी – खासी कमाई होती है. देश के ज्यादातर राज्यों में मछली पालन किया जाता है.
इसके लिए राज्य की सरकारें भी बढ़ा देती रहती है. वैसे तो मछली की कई किस्में पाई जाती है, लेकिन पंगास मछली का पालन करके आय दोगुनी कर सकते है. पंगास मछली मीठे पानी में पाली जाने वाली प्रजाति है, जोकि 6 से 8 महीने में 1.0 से 1.5 किग्रा की हो जाती है. यह वायुश्वासी होनी है, इसलिए इसमें कम घुलित आक्सीजन को सहन करने की क्षमता होती है.
माना जाता है कि भारत में पंगास का सबसे बड़ा उत्पादक आंध्रप्रदेश करती है. तो वहीं झारखण्ड की जलवायु पंगास मछली लिए अनुकूल मानी जाती है. यह मछली शार्क मछलियों की तरह चमकदार दिखाई देती है. जिसको एक्वेरियम में भी पाला जा सकता है.
पंगास मछली की विशेषताएं (Features of Pangas Fish)
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इन मछलियों की वार्षिक वृद्धि दर ज्यादा होती है.
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इस मछली की मांग ज्यादा होती है.
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यह मछली वाले जलीय स्त्रोतों में पाली जा सकती है.
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इन मछलियों में पतले कांटें कम होते हैं.
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पंगास प्रजाति में रोगनिरोधक क्षमता अधिक होती है.
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भारतीय मुख्या कार्प के साथ आसानी से पाल सकते है.
पंगास मछली पालन के लिए तालाब का चयन (Selection of pond for Pangas fish farming)
अगर आप पंगास मछली का पालन करना चाहते है, तो संचयन तालाब का क्षेत्रफल करीब 0.5 से 1.0 एकड़ होना चाहिए. तो वहीं करीब 10 से 15 एकड़ तक का क्षेत्रफल भी ठीक रहता है. तालाब में पानी की गहराई करीब 1.5 से 2.0 मी. तक हो.
इसके लिए ज्यादा गहराई वाले तालाब ठीक नहीं रहते हैं, क्योंकि यह मछली वायुश्वासी होनी है. ध्यान रहे कि तालाब की गहराई ज्यादा न हो, क्योंकि इन्हें ऊपर आने और जाने में ज्यादा ऊर्जा खपत करनी होती है. जिससे इनकी वृद्धि दर कम होने लगती है.
तालाब में जल गुणवत्ता (Water quality in the pond)
पंगास मछली की अच्छी वृद्धि के लिए जलीय गुणवत्ता होनी चाहिए. इनके लिए तापक्रम 26 से 30 डिग्री सेल्सियस, पी.एच करीब 6.5 से 7.5 होना चाहिए. इससे पालन अच्छे से किया जा सकता है.
पंगास मछली का भोजन (Pangas fish meal)
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पंगास मछली के पूरक आहार पर निर्भर रहती है, इससे पालन में काफी आसानी होती है. प्रारंभिक अवस्था में मछलियां तालाब में काई और घोंघें को खाती है. जब मछली बड़ी होती है, तो वह सर्वभक्षी हो जाती है.
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तालाब में पूरक आहार को बड़े चाव से खाती है. अगर तालाब में प्राकृतिक भोजन रहता है, तो पूरक आहार में खर्च काफी कम आता है. वैसे बाजार में पूरक आहार उपलब्ध होता है.
विशेष सावधानियां बरतें (Take special precautions)
पंगास मछली एक सर्वभक्षी मछली है.
इसको नदियों में जाने से रोकना चाहिए. अगर ठंड का मौसम है और तापमान 15 सेल्सियस से कम हो, तो ऐसे में मछली तनाव में आ जाती है. उसके भोजन करने की मात्रा भी कम हो जाती है. इस कारण उसका वजन घटने लगता है. ऐसे में करीब अक्टूबर महीने तक मछली को निकाल लेना चाहिए.