Nili Ravi Buffalo: मौजूद वक्त में डेयरी व्यवसाय खूब फल-फूल रहा है. देश के लाखों किसान और डेयरी संचालक इस व्यवसाय के जरिए मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. खासतौर पर वो किसान जो भैंस पालन कर रहे हैं. यही वजह है देश में भैंस पालन की ओर तेजी से किसानों का रूझान बढ़ रहा है. पशु विशेषज्ञों का कहना है कि किसान अगर गाय के साथ-साथ भैंस पालन भी करें तो अच्छी कमाई कर सकता है. पशु विशेषज्ञ भैंस पालन को काले सोने के तौर पर देखते हैं. क्योंकि, गाय की तुलना में भैंस के दूध से अधिक कमाई होती है. ऐसे में अगर आप भी डेयरी बिजनेस शुरू करने की सोच रहे हैं तो भैंस पालन आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. इस खबर में हम आपको भैंस की एक ऐसी नस्ल के बारे में बताएंगे जो डेयरी बिजनेस के लिए काफी अच्छी मानी जाती है. हम बात करें हैं तो भैंस की नीली रावी नस्ल की.
1800 लीटर तक दूध देने की क्षमता (Nili Ravi Buffalo Milk Per Day)
इस नस्ल की उत्पत्ति पाकिस्तान के मिंटगुमरी में हुई है. भारत की बात करें तो मुख्यतौर पर इस नस्ल की भैंसे पंजाब और आसपास के इलाकों में पाई जाती हैं. पंजाब और आसपास के इलाकों में इसे पंचकल्याणी के नाम से भी जाना जाता है. दिखने में नीली रावी भैंसें काफी भारी भरकम होती हैं. क्योंकि, ये एक दुधारू नस्ल की भैंस है इसलिए इसकी दूध उत्पादन क्षमता के चलते ये भैंस पालकों को काफी पसंद आती है. यह एक ब्यांत में औसतन 1600-2000 लीटर दूध देती है और दूध में वसा की मात्रा 7 प्रतिशत होती है.
नीली रावी भैंस की कीमत (Nili Ravi Buffalo Price)
नीली रावी की अधिक दूध उत्पादन क्षमता के चलते इसे भैंस की उन्नत किस्मों में गिना जाता है. ऐसे में अगर आप भी इस भैंस को कमाई का एक साधन बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले इसकी पहचान, कीमत और खासियत जरुर जान लें. बाजार में इस नस्ल की भैंस की कीमत 25 हजार रुपये से लेकर 70 हजार रुपये के बीच है.
नीली रावी की पहचान और विशेषताएं (Characteristics of kalahandi Buffalo)
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दिखने में नीली रावी भैंसें काफी भारी भरकम होती हैं. कुछ भैंसों का आकार मध्यम भी हो सकता है.
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इस नस्ल की भैंस का शरीर काले रंग का होता है और इनके सींग भी इनकी तरह भारी होते हैं.
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इन भैंसों के माथे पर उजला धब्बा दिखाई देता है. माथे के अलावा नाक और पैरों पर भी उजला धब्बा रहता है.
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नीली रावी भैंसों की पूछें लंबी होती हैं, जिसका निचला हिस्सा सफेद रंग का होता है.
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प्रति ब्यांत नीली रावी भैंसे 1800-2000 लीटर दूध देने की क्षमता रखती हैं.
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इनकी आंखे नीली और बरौनी सफेद रंग की होती है. इनके शरीर के पांच भाग में सफेद रंग होता है.
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भारत के अलावा बांग्लादेश, चीन, फिलीपींस, श्रीलंका और ब्राजील में भी इन भैंसों का पालन किया जाता है.
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इस नस्ल की भैंस का औसतन भार 450 किलो होता है. जबकि, सांड का औसतन भार 600 किलो होता है.
चारे में दे सकते हैं ये खुराक
इस नसल की भैंसों को जरूरत के अनुसार ही खुराक दें. इस नस्ल की भैंसों मुख्य तौर पर फलीदार चारा खाना पसंद करती है. अगर आप चारे में तूड़ी या अन्य चारा मिला कर दें तो ये उनके लिए काफी फायदेमंद रहेगा. इससे भैंसों को बदहजमी भी नहीं होगी. इस नस्ल की भैंसों को भैं उर्जा, प्रोटीन, कैलशियम, फासफोरस, विटामिन ए से युक्त खुराक दें. इसके लिए आप मक्की/गेहूं/जौं/जई/बाजरा के दाने, मूंगफली/तिल/सोयाबीन/अलसी/बड़ेवें/सरसों/सूरजमुखी के बीज, गेहूं का चोकर/चावलों की पॉलिश/बिना तेल के चावलों की पॉलिश को चारे के रूप में दे सकते हैं. चारे में नमक का इस्तेमाल भी करें.
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