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Updated on: 15 May, 2024 12:00 AM IST
सिर्फ 10 रुपये के खर्च में नीलगाय फसल से रहेगी दूर, सांकेतिक तस्वीर

किसानों की आज के समय में सबसे बड़ी समस्या नीलगाय से होने वाले नुकसान है. बिहार के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में नील गाय के साथ-साथ लावारिस पशु भी बहुत बड़ी समस्या है, लेकिन वहां की सरकार लावारिस पशुओं को गोशाला में रखने की व्यवस्था कर रही है. देखा जाए तो ज्यादातर इलाकों में नीलगायों की वजह से फसल पर बुरा प्रभाव देखने को मिलता है जिसमें उद्यानिकी फसलें कुछ ज्यादा ही प्रभावित होती है. इसी क्रम में नीलगाय (घडरोज) किसानों के लिए बड़ी समस्या बन गयी है. इसके नाम में गाय शब्द होने की वजह से इसे गोवंश मानने के कारण इनका वध भी नहीं किया जाता और अब इनसे फसलों को बचाना बहुत मुश्किल हो गया है. जंगल झाड़ियों के समाप्त होने के बाद नीलगाय खेतों में शरण ले रही हैं. यह गन्ना, अरहर आदि के खेत में छिपी रहती हैं और मौका पाते ही बाहर निकलकर फसलों को खाने के साथ ही नष्ट भी कर देती हैं. इससे किसानों को भारी आर्थिक क्षति होती है.

इस संदर्भ में प्रोफेसर (डॉ) एसके सिंह बताते हैं कि साहपुर पटोरी, समस्तीपुर के रहने वाले सुधीर शाह से मुलाकात की, जहां उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए नीलगाय को नियंत्रित करने के कुछ बेहतरीन उपाय बताए है. उनके द्वारा बताए गए उपाय में खर्चा मात्र 10 रुपये आता है और साथ ही इसमें शारीरिक श्रम भी करीब 1 घंटा ही लगता है.

नीलगाय को खेत से दूर रखने के उपाय

  • सड़े हुए या यू कहे खराब दो अंडे लें जिसे 15 लीटर पानी में घोल ले.

  • उन्हें सड़ने के लिए 5 से 10 दिन के लिए छोड़ दे ताकि गंध अधिक से अधिक उत्पन्न हो सके.

  • प्रत्येक 15 दिन पर खेत की मेड़ों पर इस घोल को जमीन पर ही छिड़काव करें, खास तौर पर उधर अवश्य छिड़के जिधर से नील गाय खेत में प्रवेश करते है.

  • पौधों पर छिड़कने की आवश्यकता नहीं है. क्योंकि यह जानवर स्वभाव से सख्त शाकाहारी होते है.

  • नीलगाय को सड़े हुए अंडे की दुर्गंध नापसंद हैं,  इसलिए जहां पर इस घोल का छिड़काव किया गया होगा. वहा पर नील गाय कत्तई आना पसंद नही करते है.

  • इस विधि से आप नील गाय ही नहीं बल्कि बंदर को भी नियंत्रित कर सकते हैं.

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फसल पर न करें इस घोल का इस्तेमाल

सुधीर शाह के मुताबिक, यह घोल जितना पुराना होगा उतना ही असरदार होगा. लेकिन ध्यान रहे कि इसका प्रयोग फसलों पर नहीं करना है. यह नील गाय एवं बंदर के लिए रिपेलेंट (दूर भागने वाला) का कार्य करता है. शाह के मुताबिक आस-पास के किसान इस विधि का प्रयोग करके अपनी फसलों को नीलगाय से बचा रहे है. नीलगाय भगाने की यह सस्ती एवं असरकारक विधि है इसका प्रयोग करके आप अपनी फसलों को बचा सकते हैं.

बता दें कि अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (फल) में केला के बंच को नीलगाय के नुकसान से सफलतापूर्वक बचाया है. नीलगाय केला के बंच को खा कर भारी नुकसान पहुंचाते थे. नीलगाय से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए उपयुक्त उपाय के साथ-साथ बंच को पॉलीथिन से ढक रखें. ऐसा करने से फसल सुरक्षित रहती है.

English Summary: Nilgai causes extensive damage to agricultural crops Protection Nilgai in hindi
Published on: 15 May 2024, 11:05 IST

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