आज भी कई पशुपालक दुधारू पशुओं का दूध पारंपरिक तरीके से निकालते हैं. यानि पशुपालक पशुओं का दूध दुहने में अपने हाथों का ही इस्तेमाल करते हैं. मगर अब डेयरी फ़ार्मिंग की नई कई तकनीक विकसित की जा चुकी हैं, जिससे डेयरी फ़ार्मिंग और पशुपालन में क्रांति आई है. एक ऐसी ही मिल्किंग मशीन है, जो दूध दुहने वाली मशीन के नाम से भी जानी जाती है.
इस मशीन के जरिए पशुओं का दूध निकालना काफी आसान होता है और दूध का उत्पादन भी लगभग 15 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. आइए आपको इस मशीन की जानकारी विस्तार से देते हैं.
मिल्किंग मशीन (Milking Machine)
मिल्किंग मशीन की शुरुआत डेनमार्क और नीदरलैंड से हुई, लेकिन ये मशीन दुनियाभर में उपलब्ध है. कई डेयरी उद्योग और पशुपालक दूध निकालने के लिए मिल्किंग मशीन का उपयोग करते हैं. मिल्किंग मशीन की खासियत यह है कि इससे पशुओं के थनों को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है, बल्कि थनों की मालिश हो जाती है. इसके साथ ही दूध की गुणवत्ता और उत्पादन में बढ़ोतरी होती है.
मिल्किंग मशीन के प्रकार (Types of Milking Machine)
मिल्किंग मशीन कई तरह की आती हैं. डेयरी किसानों के लिए ट्रॉली बकेट मिल्किंग मशीन उपयुक्त होती है. ये दो तरह की होती हैं.
सिंगल बकेट मिल्किंग मशीन- इस मशीन से लगभग 10 से 15 पशुओं का दूध आसानी से दुहा जा सकता है.
डबल बकेट मिल्किंग मशीन- इस मशीन से लगभग 15 से 40 पशुओं का दूध निकाल सकते हैं. इसमें एक ट्रॉली लगी होती है, इसलिए इसे कहीं भी आसानी से ले जा सकते हैं. इन मशीनों को कई कंपनियां बनाती हैं. पशुपालक आसानी से कम कीमत में इन्हें खरीद सकते हैं. यूपी, बिहार, हरियाणा, पंजाब, बिहार में मिल्किंग मशीन का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है.
मिल्किंग मशीन से मिलता है स्वच्छ दूध (Milking machine gives clean milk)
इस मशीन से लागत और समय की अच्छी बचत होती है. इसके साथ ही दूध में कोई गंदगी भी नहीं आती है. ये मशीन तिनके, बाल, गोबर और पेशाब के छींटों से भी बचाव करती है. जब इस मशीन से दूध निकाला जाता है, तब पशु के खांसने और छींकने से भी दूध का बचाव होगा. इस मशीन के जरिए दूध सीधा थनों से बंद डब्बों में ही इकट्ठा होता है.
मिल्किंग मशीन लगाने की जगह (Milking machine installation)
पशुपालक मिल्किंग मशीन को अपने फार्म के एक हिस्से में आसानी से लगा सकते हैं. इसमें 1 से 3 बकेट तक बढ़ाया जा सकता है. मशीन के रख-रखाव में भी कम खर्चा ही आता है. दूध निकालने के लिए एक-एक करके पशुओं को मशीन के पास लाया जाता है और फिर पशुओं का दूध दुहा जाता है.
मिल्किंग मशीनों से ज्यादा दूध उत्पादन (Milk production more than milking machines)
अगर पशुपालक इस मशीन से पशुओं का दूध निकालते हैं, तो दूध की मात्रा लगभग 10 से 15 प्रतिशत बढ़ जाती है. इस मिल्किंग की मदद से लगभग 1.5 से 2.0 लीटर दूध प्रति मिनट दुहा जा सकता है. इसमें ऊर्जा की बचत होती है, साथ ही स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता वाला दूध मिलता है. इन मशीनों का रख-रखाव भी आसानी से कर सकते हैं. इसके मेंटेनेंस में केवल 300 रुपए तक का खर्चा आता है.
मिल्किंग मशीनों पर सब्सिडी (Subsidy on milking machines)
जानकारी के लिए बता दें कि देश के कई राज्यों की सरकार पशुपालकों को मिल्किंग मशीनों पर सब्सिडी प्रदान करती हैं. इन्हें खरीदने के लिए बैंक से लोन भी दिया जाता है.
संपर्क सूत्र (Contact person)
अगर पशुपालक मिल्किंग मशीन खरीदना चाहते हैं, तो अपने जिले के पशुपालन अधिकारी, बैंक के कृषि और पशुपालन विभाग के अफसरों से संपर्क कर सकते हैं.