Fish Farming: भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर खेती के साथ-साथ किसान बड़े स्तर पर मछली पालन भी करते हैं. इससे किसानों की अच्छी आमदनी होती है. इसके अलावा, सरकार द्वारा किसानों को मछली पालन के लिए आर्थिक सहायता भी दी जाती है. हालांकि, कई बार किसानों को मछली पालन में नुकसान भी होता है क्योंकि उन्हें मछली पालन से जुड़ी अधिक जानकारियां नहीं होती. इस खबर के माध्यम से हम आपको मछली पालन से जुड़ी उन तकनीकों के बारे में बताएंगे, जिन्हें अपनाकर आप बंपर कमाई कर सकते हैं.
मछली पालन करने के लिए तालाब की गहराई पांच से छह फीट होनी चाहिए ताकि मछलियां तेजी से बढ़ सकें. विशेषज्ञ बताता हैं कि पांच से छह फीट गहराई वाले तालाब में सूर्य की किरणें प्लैंक्टन साथ उठाती हैं और तालाब की सतह तक पहुंचाती हैं. इससे तालाब की गहराई तक प्लैंक्टन पाई जाती है. खास बात यह है कि पानी के अलग-अलग स्तरों पर प्लैंक्टन की मात्रा भी अलग-अलग होती है. ऊपरी स्तर पर अधिक रोशनी पड़ने की वजह से यहां पर कुल प्लैंक्टन का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा मौजूद होता है. जबकि तालाब के मध्य और निचले स्तर पर 20 फीसदी तक प्लैंक्टन उपलब्ध होता है. इससे सभी मछलियां अलग-अलग स्तर पर खाना तलाशती हैं.
कंपोजिट फिश कल्चर का करें प्रयोग
कॉमन कॉर्प और कतला ऊपरी एवं मध्य स्तर पर खाना तलाशती हैं. वहीं, सिल्वर कॉर्प और नैनी निचले स्तर पर भोजन करती हैं. इसलिए पूरे तालाब का विभिन्न स्तरों का दोहन करने के लिए कंपोजिट फिश कल्चर का प्रयोग करना चाहिए. खास कर मछली पालक तालाब में जियरा डालते हैं, लेकिन पैसों के अभाव में उचित मात्रा में चारा नहीं देते हैं. इससे मछलियों का ग्रोथ तेजी से नहीं होता है. ऐसे में मछली पालकों को उतना फायदा नहीं होता है.
गोबर से बढ़ेगा मछलियों का वजन
अगर किसानों के पास मछलियों का चारा खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं, तो वे खुद से ही घर पर मछलियों का भोजन तैयार कर सकते हैं. इसके लिए किसान गाय-भैंस के गोबर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. मछलियां गोबर पर भी पल सकती हैं. किसान तालाब में सीधा गोबर डाला सकते हैं. इसके अलावा, बकरी के मल का भी प्रयोग किया जा सकता है. बकरी के मल को चूरन बनाकर तालाब में मिलाएं, जो चारे के रूप में काम करेग. बकरी का मल पानी में आसानी से घुलता, जिस वजह से मछलियां इसे आसानी से खा पाती हैं.
शुरुआत में डालें 2 हजार किलो गोबर
इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) के अनुसंधान से यह साबित हो गया है कि गोबर में मौजूद तत्व को खाने से भी मछलियां तेजी से बढ़ती हैं. यही वजह है कि आईसीएआर ने मछलियों के लिए गोबल की गोली भी बनाई है. इसका कारण यह है कि गोबर में नाइट्रोजन अधिक मात्रा में पाया जाता है और जब मछलियां इसे खाती हैं तो उनका वजन तेजी से बढ़ता है. यदि आप एक हेक्टेयर में मछली पालन शुरू करते हैं तो पहले तालाब में 2 हजार किलो गोबर डालें और उसके बाद हर महीने 1 हजार किलो गोबर डालें. इससे मछलियों का वजन तेजी से बढ़ेगा और आपकी कमाई भी.
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