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Updated on: 9 February, 2019 12:00 AM IST

उत्तराखंड में अब जल्द ही ट्राउट मछली, चमोली के साथ-साथ पहाड़ी जिलों में भी आर्थिक जीविका का महत्वपूर्ण साधन बनने जा रही है. ट्राउट मछली पालन के क्षेत्र में मत्स्य विभाग के द्वारा राज्य की एक मात्र फिश हैचरी मंडल में इसके बीज तैयार किए जा रहे हैं. मछली के इन बीजों को अब अन्य जिलों में काश्तकारों को वितरित किया जा रहा है. यहां स्वयं सहायता समूह के माध्यम से 1200 से 1800 रूपये प्रति किलो तक बिकने वाली मछली का पालन किया जाएगा. ट्राउट मछली के साफ पानी में रहने के कारण अलकनंदा, पिंडर और यहां की सहायक नदियों में 32 स्थानों को चिन्हित किया गया है.

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हो रहा ट्राउट सीड का उत्पादन

ट्राउट प्रजनन केंद्र पर मौजूद फिशमैन जगदीश सिंह के मुताबिक यहां नीली क्रांति योजना के तहत इसके सीड का उत्पादन किया जा रहा है. इस परिक्षेत्र से उत्पादित ट्राउट सीड उत्तरकाशी, टेहरी, रूद्रप्रयाग, चमोली सहित सात जिलों के किसानों को दिए जाएंगे. इस संबंध में डीएम का कहना है कि ट्राउट मछली की एक मात्र हैचरी उत्तराखंड के चमोली जिले में है. यहां ट्राउट सीड को भारी मात्रा में उगाया जाता है. उत्तराखंड के चमोली समेत आसपास के जिलों में ट्राउट मछली का उत्पादन आय का एक महत्वपूर्ण साधन हो सकता है.

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मछलीपालन के लिए नई नीति जल्द

विभाग का कहना है कि राज्य में मछलीपालन को बढ़ावा देने के लिए मत्सय विभाग द्वारा एक नई फिश ऐंगलिंग की नीति लाई गई है. जिसके सहारे मत्स्य व पर्यटन दोनों को तेजी से बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है. इसकी सहायता से किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना है. अन्य मछलियों के मुकाबले अधिक महंगे दामों पर बिकने वाली ट्राउट मछली के पालन करने से न केवल पहाड़ी जिलों में रोजगार के साधन बढ़ेंगे बल्कि इसके सहारे आर्थिक व सामाजिक रूप से मत्स्य पालन में भी आने वाले समय में तेजी से बढ़ोतरी होगी.

English Summary: Fish Department will provide financial help for trout fish farming
Published on: 09 February 2019, 05:44 IST

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