किसानों की भलाई एवं खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार नए-नए योजनाएं बना रही है, लेकिन शिक्षा या सूचाना के अभाव में हमारे अधिकतर किसान भाई योजनाओं से विंचित रह जाते हैं. इसी कमी को दूर करने के लिए इंडियन किसान संचार लिमिटेड कई तरह के मुहिम चला रही है. जहां एक तरफ यह संस्था किसान के लिए नए मोबाईल एप की शुरुआत कर उन्हें सरकार के मुहिम से जोडऩे का काम कर रही है, वहीं दूसरी तरफ किसानों की मदद के लिए अन्य तरह के मुहिम भी चला रही है. किसानों को लेकर नई मोदी सरकार क्या-क्या कदम उठा रही है एवं 2019 के बजट से उन्हें क्या-क्या फायदा होने वाला है, इन्ही बातों को जानने के लिए कृषि जागरण की टीम इंडियन किसान संचार लिमिटेड के प्रबंध निर्देशक संदीप मल्होत्रा से मिली. पेश है साक्षात्कार के प्रमुख अंश:
1. मोदी सरकार द्वारा 2019 के बजट पेश होने के बाद आपकी संस्था क्या नया काम करने वाली है?
उत्तर: देखिए वैसे तो मोदी सरकार किसानों को लेकर बहुत से काम कर रही है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती है ग्रामीण संकट (rural distress ) को दूर करना. हमे यह बात स्वीकार करना ही होगा कि हर क्षेत्र की तरह कृषि जगत में भी मॉडर्न टेक्नोलॉजी तो आई, लेकिन बहुत बड़े संख्या में किसान उसका फायदा नहीं उठा सके. इसके साथ ही सरकार द्वारा बताए जा रहे नए तरीको या नए उपकरणों के इस्तेमाल से किसान इसलिए भी डरते हैं कि इससे उनकी उपज ना घट जाए. लेकिन यहां पर मोदी सरकार ने एक अच्छा काम यह किया है कि सभी तरह के फसलों के लिए बिमा लगभग अनिर्वाय कर दिया है.
2. फसल बीमा के बारे में किसानों को जानकारी कहां से मिलेगी?
उत्तर: देखिए, फसल सरकार द्वारा फसल बीमा को अनिवार्य करने का फैसला सोच-समझकर लिया गया है. बीमा की दरें बहुत कम हैं, किसान बस न्यूनतम दरें भरता है, जबकि बाकि की सारी दरें सरकार भरती है. इस बीमा की जानकारी भी किसान ऐप एवं अन्य माध्यमों से गांव-गांव पहुंचाई जा रही है. इसके अलावा जगह-जगह एक खास स्थान को चुन लिया गया है कि जिससे बीमा से जुड़ी सभी तरह की जानकारी किसान भाई आराम से ले सकें. इतना ही नहीं सरकार ने हर स्थान के लिए एक अलग नोड़ल अधिकारी को तैनात किया ताकि किसी तरह की समस्या आने पर किसान स्वंय जाकर पूछताछ कर सके
क्या इफको किसान संचार विभाग भी किसानों को जागरूक करने के लिए कोई काम कर रहा है?
उत्तर : जी हां, हम वॉइस मैसेज के माध्यम से किसानों को हर तरह की सूचनाएं दे रहे हैं, जैसे कितने रूपये का बीमा करवाना ठीक रहेगा, फार्म कहां से मिलेगा, जरूरी कागज़ात कौन-कौन से लगेंगें, क्लेम कहाँ से डाला जाएगा, क्या क्लेम आधी फसल के नुकसान पर भी मिलेगा आदि. इफको किसान संचार के सभी कॉल सेंटर्स को निर्देश दिया गया है कि अगर किसान अपनी समस्याएं लेकर आएं तो उसका निवारण करें और जरूरत पड़ने पर नोडल अधिकारी को सूचित करें.
3. सेहतमंद खेती को बढ़ावा देने के लिए आपका संगठन क्या कर रहा है?
उत्तर : हमारे शरीर की तरह ही हमारे फसलों को भी सभी तरह के नुट्रिशन बैलेंस मात्रा में चाहिए लेकिन होता यह है कि हम लालच के चक्कर में अधिक से अधिक यूरिया डालते हैं, क्योंकि यह सस्ता है. जिससे मिट्टी की सेहत खराब हो जाती है. इसलिए किसानों को हम सॉइल हेल्थ कार्ड बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
4. आपकी संस्था के पास किस तरह के स्टाफ है?
हमारे पास दो तरह के लोग हैं, पहले वो लोग हैं जो डायरेक्ट फील्ड में जाकर किसानों से जुड़ते हैं एवं उनकी समस्यों को हल करतें हैं. दूसरे तरह के लोग विशेषज्ञ हैं जो यहीं से हर तरह के सुझाव किसानों को देतें हैं कुल मिलाकर हमारे पास 3 हजार से ज्यादा लोग संगठन से जुड़ें हुए हैं.
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