इस वक्त किसानों की सबसे बड़ी समस्या है कि कई राज्यों में कृषि वाहनों की आवाजाही को बंद कर दिया गया है. इससे किसानों की उपज यानी फल, सब्जी समेत अन्य फसलें खराब हो रही हैं. इसके साथ ही किसानों को अपनी उपज कम दामों में भी बेचनी पड़ रही है. इतना ही नहीं, कई किसान अपनी उपज फेंकने के लिए मजबूर होते जा रहे हैं. इस कड़ी में मोदी सरकार ने किसानों को राहत देना शुरू कर दिया है. कोरोना और लॉकडाउन के बीच मोदी सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजना (MISP-Market Intervention Price Scheme) को लागू करने का फैसला किया है. इस तरह किसान उपज को अच्छे दामों पर बेच पाएंगे.
क्या है बाजार हस्तक्षेप योजना?
इस योजना के तहत कृषि उत्पादों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होती है. यह एक अस्थायी तंत्र है, जो किसानों का साथ कृषि और बागवानी उत्पादों की गिरती कीमतों और विपरीत स्थिति में देती है. यानी यह एक ऐसी मूल्य समर्थन प्रणाली (Price support system) है, जो खाद्यान्नों और बागवानी वस्तुओं की एमआईएसपी (MISP) बाजार मूल्य में गिरावट और खराब होने पर लागू होती है.
बाजार हस्तक्षेप योजना का लाभ
अगर किसानों की उपज खराब या कीमत गिरती है, तो इस योजना के तहत उनकी खरीद राज्य सरकार द्वारा की जाएगी. इसके लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार नुकसान की 50 प्रतिशत की भरपाई करेगी. खास बात है कि पूर्वोत्तर में यह 75 प्रतिशत की भरपाई होगी. इस योजोना पर काम करने के लिए कृषि मंत्रालय ने राज्य की सरकारों को पत्र भेज दिया है.
इसलिए लिया गया फैसला
जब कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यों के कृषि मंत्रियों से किसानों के हालातों पर चर्चा की, तब राज्यों ने फल और सब्जियों की गिरती कीमतों और उपज खराब होने का मुद्दा उठाया था. इसके बाद किसानों के हित के लिए योजना को लागू किया गया.
कब लागू की जाती है योजना?
जब सामान्य वर्ष की तुलना में उत्पादन कम से कम 10 प्रतिशत ज्यादा या फिर प्रतिशत 10 की कमी हो, तब यह योजना लागू की जाती है. इस वक्त देश में लॉकडाउन चल रहा है. ऐसे में सरकार राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED-Agriculture Cooperative Marketing Federation of India) की मदद ले रही है.
योजना के तहत किन कृषि उत्पादों की होती है खरीद?
इस योजना के तहत संतरा, सेब, माल्टा, अंगूर, अनानास, अदरक, लाल-मिर्च, धनिया बीज, लहसुन, मशरूम, लौंग, काली मिर्च आदि की खरीद होती है.
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