कर्नाटक में हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए हैं. जिसमें बीजेपी को हराकर कांग्रेस ने राज्य में सरकार बनाई है. सत्ता बदलने के साथ ही कर्नाटक में विभिन्न मुद्दों पर राज्य और केंद्र सरकार के बीच घमासान जारी है. अब भाजपा और कांग्रेस के बीच कर्नाटक में अन्न भाग्य गारंटी योजना को लेकर सियासत शुरू हो गई है. राज्य सरकार इस योजना के तहत चावल की जगह लोगों के खाते में पैसे ट्रांसफर करने जा रही है. तो आइये जानें क्या है अन्न भाग्य गारंटी योजना व राज्य सरकार क्यों चावल की जगह पैसे करेगी ट्रांसफर.
अभी मिलता है इतना चावल
कर्नाटक में इस वक्त गरीबी रेखा (बीपीएल) से नीचे के सभी परिवारों को पांच किलो चावल मुफ्त मिलता है. लेकिन सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने अन्न भाग्य गारंटी योजना के तहत बीपीएल परिवारों को 10 किलो चावल देने का वादा किया था. लेकिन अब कांग्रेस सरकार कर्नाटक में चावल की जगह लोगों के खाते में पैसे डालने की बात कर रही है. इसपर कांग्रेस का कहना है कि इस साल 12 जून को एफसीआई ने अतिरिक्त चावल की आपूर्ति के लिए सहमति जताई थी. जिसके लिए राज्य सरकार 34 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से पैसे देने को भी तैयार थी. लेकिन अगले ही दिन केंद्र में काबिज भाजपा सरकार ने इस मंजूरी को रद्द कर दिया.
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इतना मिलेगा पैसा
इस पर कांग्रेस के दिग्गज नेता व सांसद जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा है कि कर्नाटक की वर्तमान सरकार अपने वादे से पीछे नहीं हटेगी. इसलिए चावल की जगह कैश ट्रांसफर करने जा रही है. कांग्रेस सरकार अतिरिक्त चावल के लिए राशन कार्ड लाभार्थियों को 170 रुपये प्रति माह के हिसाब से भुगतान करेगी. बता दें कि यह राशि 34 रुपये प्रति किलो के हिसाब निर्धारित है. जयराम रमेश ने अपनी ट्वीट में यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा पर प्रतिशोध की राजनीति की है. इसमें बाधा डालने की कोशिश की, लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें करारा जवाब दे दिया है. अतिरिक्त चावल खरीदने के प्रयास भी जारी हैं.
कांग्रेस का जवाब
कांग्रेस सांसद ने यह भी कहा है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने कैश ट्रांसफर योजना के जरिए केंद्र सरकार की बदले की भावना वाली नीतियों पर प्रहार किया है. खासकर उस राज्य में जहां लोगों ने भाजपा को पूरी तरह से नकार दिया था. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का यह आचरण सहयोगात्मक संघवाद की बजाय टकरावपूर्ण संघवाद को दर्शाता है.
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