केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार अपने पांच साल के आख़िरी पड़ाव पर पहुंच चुकी है. अब यहां से भाजपा सरकार की नीतियों को समझने जरूरत होगी। जिससे वह साल 2019 के आम चुनाव में फिर एक बार सत्ता पर काबिज़ हो सके. इसके लिए इस बार मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती वोटर के उस तबके को साधने की होगी जिससे वह सत्ता में आ सके अगर इस बार बीजेपी ऐसा नहीं कर सकी तो उसका सत्ता में वापसी करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
अगर हम बात करें उस तबके की जिसके सहयोग के बिना किसी भी पार्टी का सत्ता में आना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है तो वह है - देश का किसान. आम चुनाव 2014 में बीजेपी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने वादा किया था और इसी वादे की बदौलत नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और अब उनके पांच साल का कार्यकाल भी पूरा होने जा रहा है लेकिन आज भी किसान तबके को अपनी आय दोगुनी होने का इन्तजार है.
लेकिन मौजूदा स्थिति में न तो पीएम मोदी द्वारा किसानों से किया वादा पूरा होता दिख रहा है और न ही उनके कार्यकाल का कोई सटीक दांव ही दिख रहा है, जिससे किसान उनको अपना हितैशी समझ सके. इस सबके पीछे जहां कुछ हद तक केन्द्र सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं वहीं बीते चार साल के दौरान तीन साल कमज़ोर मानसून और वैश्विक बाजार में खाद्यान उत्पादों की कीमतों का निचल स्तर होना भी जिम्मेदार है.
वहीं साल 2015 में कृषि जगत में ज्यादा कुछ ख़ास नहीं हुआ. हालाँकि, उन्होंने 2015-16 के लिए कृषि ऋण लक्ष्य को 50,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 8.5 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव रखा.बजट 2016 में, जेटली ने कृषि के लिए आवंटन में तेजी से बढ़ोतरी की। उन्होंने 47,912 करोड़ रुपये आवंटित किए, जो कि 2015-16 के दौरान प्राप्त की गई राशि से 84% अधिक था।
हम साल 2016-17 में सरकार ने 9 लाख रूपये का ऋण लक्ष्य निर्धारित किया वही इस साल के दौरान ही 10.66 लाख करोड़ रुपये कर्ज के रूप बाँट दिया और अभी जो वित्त-वर्ष चल रहा है उसके सरकार ने 11 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किये गए.
अब आम चुनाव 2019 के मद्देनजर ख़बर आने लगी है की इस बार किसानों को लुभाने के लिए सरकार अपने बजट 2019-20 में ऋण लक्ष्य में 10 फिसदी का इजाफ़ा करने वाली है. मतलब इस बार सरकार किसानों के लिए 12 लाख करोड़ का लुभावना लक्ष्य निर्धारित कर सकती है.
अभी तो किसानों को सरकार से उम्मीद है कि इस बार के बजट में न सिर्फ फसलों के लिए एमएसपी दर में इजाफ़ा होगा बल्कि यह भी गारंटी मिलेगी कि यदि उनके उत्पाद बाजर में उचित कीमत पर नहीं बिकते तो सरकार उनकी पूरी फसल खरीदने का काम भी करेगी.
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