भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है. भारत सरकार ने गैर-बासमती चावल के शिपमेंट के लिए प्रोत्साहन देने का फैसला किया है. जिससे विदेश में चावल बिक्री को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. व्यापार मंत्रालय ने 22 नवंबर को दिए एक आदेश में कहा कि सरकार 25 मार्च, 2019(चार महीने के लिए) तक गैर-बासमती चावल के निर्यात के लिए 5 फीसदी सहायता राशि देगी.
‘ओलम इंडिया’ के चावल कारोबार के उपाध्यक्ष नितिन गुप्ता ने कहा कि यह सब्सिडी आगे आने वाले कुछ महीनों में चावल के निर्यात में तेजी लाने में मददगार साबित होगी. इस साल रूपये की कीमत में काफी गिरावट देखने को मिली है जिसके चलते भारत के गैर-बासमती चावल का निर्यात इस साल कमज़ोर पड़ गया है. दरअसल, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी मुद्रा डॉलर के मुकाबले रूपये की क़ीमत ही अनाज को विदेशों में अन्य मुद्रा धारकों के लिए सस्ता या महंगा बनाती है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों में भारत का चावल निर्यात 9.6 फीसदी गिरकर 5.8 मिलियन टन तक जा पहुंचा है. पड़ौसी मुल्क बांग्लादेश में चावल की बंपर पैदावार के चलते वैश्विक बाजार में भारतीय चावल को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है. राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बी वी कृष्ण राव ने कहा कि गैर-बासमती चावल के निर्यात के लिए वित्तीय सहायता देने का फैसला स्थानीय कीमतों को स्थिर रखने में भी मदद करेगा. खासकर जब नई सीजन की आपूर्ति कीमतों में गिरावट आती है तो यह बहुत ही मददगार साबित होगी.
वर्तमान में स्थानीय बाजार में नई सीजन चावल की आपूर्ति शुरू हो चुकी है.
प्रभाकर मिश्र, कृषि जागरण
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