हाल ही में मौसम विभाग द्वारा मानसून सामान्य रहने की भविष्यवाणी से खुश कृषि सचिव एस के पटनायक ने कहा कि इस बार देश के खाद्यान्न उत्पादन का नया रिकॉर्ड बनेगा. उनके अनुसार देश का मानसून सामान्य रहने से खाद्यान्न उपादान इस साल 27 करोड़ 75 लाख टन के रिकॉर्ड को तोड़ देगा.
दक्षिण पश्चिम मानसून, भारत की कृषि के साथ साथ अर्थव्यवस्था के लिए जीवन रेखा के समान है। देश की 50 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर है और सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों का योगदान 15 प्रतिशत तक है। किसानों के लिए वर्षा काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि खेती योग्य भूमि का 50 प्रतिशत हिस्सा बिना सिंचाई सुविधा वाला है। पटनायक ने बताया, सामान्य मानसून से जून से शुरु होने वाली खरीफ की बुवाई बढ़ेगी और खाद्यान्न उत्पादन के मामले में हमें इस साल के रिकॉर्ड को पार कर जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि दक्षिणी प्रायद्वीप और उत्तर-पूर्व भागों में एक माह के लिए मानसून की बारिश की मामूली कमी होगी, लेकिन फिर इसमें सुधार हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि सामान्य मानसून का पूर्वानुमान कृषि और समग्र अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छी खबर है। भारत के मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने दक्षिण पश्चिम मानसून के दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 97 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। यह आंकड़ा वर्षा ऋतु के लिहाज से सामान्य है। पटनायक ने कहा कि मतदान का सामना करने जा रहे कर्नाटक के अंदरूनी दक्षिणी हिस्सों में मानसून की कमी रहेगी। हालांकि, इस दक्षिणी प्रायद्वीप में वर्षा सामान्य रहने से यहां जलाशयों में पानी भरा रहने की उम्मीद है। फसल वर्ष जुलाई से जून तक होता है। आगामी जून में समाप्त होने जा रहे चालू फसल वर्ष 2017-18 में कृषि मंत्रालय ने कुल खाद्यान्न उत्पादन 27 करोड़ 74 लाख 90 हजार टन रहने का अनुमान जताया है जो कि इससे पिछले वर्ष 27 करोड़ 51 लाख टन रहा था।
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