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Updated on: 21 September, 2023 12:00 AM IST
The burden of education on children.

आज सुबह कुछ ऐसा देखा

सड़कों पर नन्हें-नन्हें बच्चों के

हाथों में बस्ता देखा.

कुछ नया नहीं,  कुछ अजीब नहीं

ज़िन्दगी के त्रिशंकु पर झूलता बचपन देखा.

कड़क की ठंड हो या हो धूप की तपिश

उन बस्तों के संग खेलते बचपन देखा.

कश्मकश में उलझे बच्चों के माथे पर ना

एक शिकन देखा, तेज़ी से स्कूल भागते बचपन देखा.

किताबों की बोझ से दबा हुआ

बेफिक्र एक बच्चा देखा,

आज सुबह कुछ ऐसा देखा.

होड़ मची है पढ़ने और पढ़ाने की

इस होड़ में बच्चों से उसका बचपन छिनते देखा.

आज कुछ ऐसा देखा...

शाम को बच्चों के हाथ में मोबाइल देखा

हां, सच में बच्चों को एक पल में ही बड़ा होते देखा.

पार्क में धमाचौकड़ी करने वालों बच्चों को गंभीर देखा है.

हां, हां मैने कुछ ऐसा...

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English Summary: The burden of education on children is increasing day by day
Published on: 21 September 2023, 01:57 IST

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