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Updated on: 6 April, 2019 12:00 AM IST
Poetry

लफ्ज़ सर्द हो चले हैं

पिघले तो कुछ कहूं

रात अभी बाकी है

सवेरा हो तो कुछ कहूं

अपने से भी अकेला हूं

साया साथ हो चले तो कुछ कहूं

यादों के धुंधल के साथ नहीं

आखों का पानी पोछ लूं तो कुछ कहूं

हूजूम सी भीड़ बढ़ चली है

कोई एक साथ चले तो कुछ कहूं

आसमान में तारे तो बहुत हैं

चांद एक मुस्कुराए तो कुछ कहूं

रात की नींद में ख्वाब तो बहुत हैं

दिन में ख्वाब पूरे हों तो कुछ कहूं

अकेला हो आया था लेकिन

चार लोग उठा कर चलें तो

क्या कुछ कहूं

 

अब कहने-सुनने को कुछ बचा नहीं

फिर सुनो कुछ कहूं ।

English Summary: one hindi poetry for life
Published on: 06 April 2019, 03:00 IST

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