Success Story: चायवाला से उद्यमी बने अजय स्वामी, मासिक आमदनी 1.5 लाख रुपये तक, पढ़ें सफलता की कहानी ट्रैक्टर खरीदने से पहले किसान इन बातों का रखें ध्यान, नहीं उठाना पड़ेगा नुकसान! ICAR ने विकसित की पूसा गोल्डन चेरी टमाटर-2 की किस्म, 100 क्विंटल तक मिलेगी पैदावार IFFCO नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी केंद्र की मंजूरी, तीन साल के लिए किया अधिसूचित एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 16 June, 2020 12:00 AM IST

देश के अधिकतर राज्यों में मानसून का आगमन हो चुका है. इन दिनों किसान खरीफ फसलों की खेती प्रमुख रूप से करते हैं. इसमें धान, अरहर, सोयाबीन समेत कई सब्जियों की खेती शामिल है. मगर शायद किसान इस बात से वंचित हैं कि मानसून आने पर वह कई महत्वपूर्ण औषधीय फसलों की खेती भी कर सकते हैं, लेकिन आमतौर पर किसानों को औषधीय पौधों की उचित जानकारी नहीं मिल पाती है. इस कारण किसानों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अगर किसान औषधीय फसलों की बुवाई, सिंचाई, कीटनाशक का उपयोग उचित समय पर न करें, तो इन फसलों के उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ता है. ऐसे में ज़रूरी है कि किसान औषधीय फसलों की उचित जानकारी के बाद ही खेती करें. आइए आज हम किसान भाईयों को महत्वपूर्ण औषधीय फसलों की जानकारी देने वाले हैं, जिनकी खेती किसान अगले आने वाले 3 महीनों में कर सकते हैं.

  1. शतावरी 

  2. अश्वगंधा

  3. मुलेठी

  4. घीकवार

  5. कलिहारी

ये खबर भी पढ़ें: मानसून की बारिश होने पर किसान इन कार्यों पर दें विशेष ध्यान, मिलेगा बंपर उत्पादन

शतावरी

इस औषधीय फसल को भी सर्दियों के अलावा किसी भी मौसम में लगा सकते हैं. इस फसल के पौधे बारिश के समय लगाए जाने पर आसानी से उग जाते हैं. इसकी बुवाई से पहले बीजों को 1 दिन तक गुनगुने पानी में भिगोंकर रख दें.

अश्वगंधा

इस फसल की बुवाई मानसून की बारिश के अनुसार जून से लेकर अगस्त तक की जा सकती है. किसान बारिश के बाद इस फसल की नर्सरी तैयार कर सकते हैं. इसकी कई उन्नत किस्में विकसित हो चुकी हैं, जिनकी बुवाई से किसान अधिक से अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. बता दें कि इसके लिए प्रति हेक्टेयर की दर से 5 किलोग्राम बीज की व्यवस्था करनी पड़ती है. अगर किसान 1 हेक्टेयर भूमि में अश्वगंधा उगाना चाहते हैं, तो लगभग 500 वर्ग मीटर में नर्सरी तैयार करें. इससे पहले  बीजों को डाइथेन एम-45 या मैंकाजब से उपचारित कर लें, साथ ही बीजों की बुवाई लगभग 1 सेंटीमीटर की गहराई पर करें.

ये खबर भी पढ़ें:  कृषि वानिकी योजना के तहत पौधे उगाकर बढ़ाए आमदनी, 30 जून तक ऐसे करें आवेदन

घीकवार

इसकी खेती खराब पड़ी भूमि पर जा जा सकती है, साथ ही अलग-अलग जलना में खेती कर सकते हैं. इसकी अच्छी पैदावार लेने के लिए उचित जल निकास की व्यवस्था होनी चाहिए. इस औषधीय फसल को फसल को सर्दियों में छोड़कर किसी भी मौसम में लगा सकते हैं. इसकी बुवाई पिछले साल लगाए गए बीजों द्वारा करनी चाहिए.

मुलेठी

इसकी खेती जुलाई से अगस्त की जा सकती है. इसके लिए किसान जून में खेत की तैयार कर लें और बारिश के बाद बुवाई कर दें. बता दें कि मुलेठी की खेती के लिए उचित जल निकास की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए. इसका साथ ही कम से कम 1 मीटर गहरी हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है. ध्यान रहे कि मुलेठी की बुवाई से पहले खेत में लगभग 15 टन गोबर की खाद ज़रूरी मिले लें. इसके बाद खेत की बुवाई कर दें.  

ये खबर भी पढ़ें: Monsoon के दस्तक से किसानों के चेहरों पर आई खुशी, 96 से 104 प्रतिशत बारिश होने की पूरी संभावना

कलिहारी

इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है. कलिहारी की खेती की तैयारी जून तक कर लेनी चाहिए और बुआई जुलाई में बारिश शुरू होते ही कर देनी चाहिए. बता दें कि इसकी खेती में 1 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए लगभग 10 क्विंटल कंदों की आवश्यकता पड़ती है. इसकी बुवाई के समय कंदों को फफूंदीनाशक द्वारा उपचारित कर लेना चाहिए. इसके साथ ही खेत को तैयार करते समय गोबर की खाद डाल देना चाहिए.  

ये खबर भी पढ़ें: खुशखबरी: धान न लगाकर हाइब्रिड सब्जियां उगाने पर किसानों को मिलेंगे 15 हजार रुपए, जानिए कैसे

English Summary: Monsoon 2020, farmers can cultivate medicinal crops for 3 months to come
Published on: 16 June 2020, 05:21 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now