किसानों में औषधीय पौधों (Medicinal plants) की खेती को लेकर रुचि काफी बढ़ रही है, लेकिन कई किसानों को इन फसलों की खेती करने की सही जानकारी नहीं होती है. इस कारण फसल से अच्छी उपज भी नहीं मिल पाती है. अगर औषधीय फसलों की बुवाई सही समय पर की जाए और सही सिंचाई और कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाए, तो फसल से काफी अच्छा उत्पादन मिल सकता है. आज हम इस लेख में उन 2 औषधीय पौधों की जानकारी देने वाले हैं, जिनकी बुवाई अगस्त में आसानी से की जा सकती है. इससे उत्पादक सही समय पर गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त कर सकते हैं.
अगस्त में औषधीय पौधों की खेती
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कलिहारी
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सनाय
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कलिहारी (Kalihari)
किसान अगस्त में कलिहरी की बुवाई कर सकते हैं. इसके लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है. किसान इसकी बुवाई बारिश होते ही कर सकते हैं.अगर 1 हेक्टेयर क्षेत्र में कलिहारी की रोपाई करनी है, तो करीब 10 क्विंटल कंदों यानी कलिहारी के फल की आवश्यकता होती है. इसकी बुवाई के समय कंदों को फफूंदीनाशक द्वारा उपचारित किया जाता है. इसके अलावा खेत की तैयारी करते समय 15 से 20 टन गोबर की खाद भूमि में अच्छी तरह मिलाई जाती है. इसके बाद कलिहरी की बुवाई की जाती है.
सनाय (Sanay)
यह समय सनाय की बुवाई के लिए उपयुक्त है. खेती को तैयार करते समय 10 टन गोबर की खाद मिले दें. किसान इसकी उन्नत किस्म एएलएफटी-2 की बुवाई कर सकते हैं. अगर सिंचित क्षेत्रों में बुवाई करनी है, तो करीब 15 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है, तो वहीं असिंचित क्षेत्रों में करीब 25 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है. इसकी बुवाई लाइनों और डिब्लर विधि से होती है. इस विधि में करीब 6 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है.
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