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Updated on: 26 April, 2024 12:00 AM IST
आम /Mango

भारत पूरे विश्व में सब्जी एवं फल उत्पादन में दूसरा स्थान रखता है जिसमें उत्पादित होने वाली फलों में आम का महत्वपूर्ण स्थान है. भारत में आम की खेती 2.5 मिलियन हेक्टेयर पर की जाती है जिसकी कुल उत्पादन क्षमता 18 मिलियन टन है. आम का उत्पादन/ Mango production उष्ण एवं उपोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु में समुद्रतल से 600 से लेकर 1500 मीटर तक की ऊंचाई तक किया जाता है, अधिक वर्षा एवं आंधी वाले क्षेत्र आम की फसल के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं. आम के फल उत्पादन हेतु औसत वार्षिक वर्षा 750 मि.ली की आवश्यकता होती है.

आम के पौधे/Mango Plants को पौधशाला से लेकर फल उत्पादन तक अनेकों कीट हानि पहुचाते हैं. इनमें से मुख्य कीट जैसे- आम का भुनगा, गुजिया, डासी मक्खी आदि आम के फसल/Mango Crop को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं जिनकी पहचान एवं नियंत्रण हेतु जानकारी इस प्रकार है.

आम के महत्वपूर्ण कीट/ Important Pests of Mango

जैसे आम का भुनगा

यह आम की फसल/Mango Crop को सबसे अधिक हानि पहुंचाने वाला प्रमुख कीट है. इस कीट के युवा अवस्था तथा वयस्क दोनों ही मुलायम पादप प्ररोहों, पत्तियों तथा फूलों के रस को चूसते हैं जिसका सबसे अधिक प्रभाव फूलों पर पडता है जिससे फूल सूखकर गिर जाते हैं. फरवरी-अप्रैल से लेकर जून-जुलाई तक इनका प्रकोप सर्वाधिक होता है. यह कीट एक प्रकार का मीठा स्त्राव उत्सर्जित करती है जिसको हनी दु कहा जाता है जो पेडों की पत्तियों, प्ररोहो आदि पर लग जाता है. इस मीठे द्रव्य पर रोगजनक काली फफूंद (सूटी माल्ड) पनपती है. जो कि पत्तियों की पूरी सतह पर जम जाती है जिससे कि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है, तथा पौधों का पूर्ण विकास ना होने के कारण फल उत्पादन तथा बाजार मूल्य प्रभावित होता है.     

कीट का जीवन काल- वयस्क अवस्था शीत ऋतु में व्यतीत करने के बाद मादा कीट नयी पत्तियों, मुलायम प्ररोहों तथा पुष्पक्रम में पतली झिर्री बनाकर अण्डे देती है. एक मादा कीट औसतन 100 से 150 तक अण्डे देती है. ये अण्डे सफेद, एक ओर चपटे तथा दूसरी ओर नुकीले से होते हैं. अंडों से 5-7 दिनों में बच्चे निकलने लगते हैं, अंडे से निलकने के 5 अवस्था के पश्चात कीट व्यस्क अवस्था में पहुंचता है. फरवरी तथा मार्च के महीनों में इनका जीवन-चक्र 12-22 दिनों में पूरा हो जाता है. अमराइटोडस एटकिनसोनाई अधिकतर नयी पत्तियां निकलने के समय बच्चे देते हैं. पूरे वर्ष में ये लगभग तीन से चार बार बच्चे देती है. अधिक गर्मी और अधिक जाड़ों के दिनों में ये पत्तियों की निचली सतह या छाल की झिर्रियों या छेदों में विश्राम करते हैं.

कीट प्रबंधन –

  • कीट पौधे के रस को चूसकर जीवन यापन करते हैं, इसलिए नाइट्रोजन युक्त रासायनिक खाद का कम उपयोग करना चाहिए.

  • जैसे ही भुनगे का प्रकोप शुरू हो एवं इनकी संख्या 5-10 प्रति बौर हो, इमिडाक्लोप्रिड का पहला छिड़काव 1 मि.ली. प्रति 3 ली. पानी में (जब पुष्प गुच्छ 7-10 सें.मी. का हो) करें. दूसरा छिड़काव पुष्प गुच्छ खिलने से पूर्व या फल बनने के बाद (आवश्यकतानुसार) थायामेथोक्जाम 25 डब्लू. जी. (3 ग्रा. प्रति ली. पानी में) का करें. फूल पूरे खिलने की अवस्था या फूल बनने की अवस्था में छिड़काव नहीं करना चाहिए जिससे परागण करने वाले कीट तथा मित्र कीट भी नष्ट हो जायेंगे.

  • प्रत्येक छिड़काव में कीटनाशक बदलाव जरूरी है, अन्यथा कीड़ों में एक ही कीटनाशक दवा का लगातार छिड़काव करने से उनमें प्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है और ऐसी परिस्थिति में कीटनाशक असर करना बंद कर देती है.

  • जो बगीचे बहुत पुराने और घने हैं और जिनकी देख-भाल ठीक से नहीं हो रही हो उनमें भुनगे बहुतायत से देखे जाते हैं. बाग को साफ सुथरा तथा सूरज की रोशनी की प्रचुर उपलब्धता रख कर हम कीडों से बचाव कर सकते हैं.

आम का गुजिया कीट (ड्रोसिका मैन्जीफेरी/Drosica Mangiferi)

गुजिया या मीली बग आम का एक प्रमुख नाशीकीट है. आम के अलावा इस कीट का प्रकोप सेब, बेर, चेरी फालसा, अंजीर, अंगूर, अमरूद, जामुन, लीची, शहतूत, पपीता, नाशपाती, आडू, अनार आदि पर होता है. इस कीट की आमतौर पर पायी जाने वाली प्रजाति का वैज्ञानिक नाम ड्रोसिका मैन्जीफेरी है. यह कीट आम की खेती करने वाले सभी क्षेत्रों में बहुतातयत रूप से पाया जाता है.

कीट का जीवन काल- मादा गुजिया अप्रैल-मई में पेड़ों से नीचे उतर कर मिटटी में प्रवेश कर सफेद थैलियों में 400-500 तक अंडे देती है. अण्डे भूमि में नवम्बर-दिसबर तक सुप्तावस्था में रहते हैं. युवावस्था को निम्फ कहा जाता है जो कि गुलाबी रंग के होते हैं निम्फ अण्डों से निकलकर जमीन की सतह पर आकार भोजन हेतु पेड़ पर चड़ने लगते हैं इनके निम्फ तथा व्यस्क कोमल शाखाओं तथा बौर पर देखे जा सकते हैं. गुजिया के अनगिनत निम्फ (बच्चे) और वयस्क पौधों का रस चूसते हैं. अत्यधिक रस चूसे जाने के कारण फल का समुचित विकास नहीं हो पता तथा प्रभावित भाग मुरझा कर अन्त में सूख जाते हैं. बच्चे और वयस्क मादा कीट जनवरी से मई तक बौर व नर्म पत्तों पर भक्षण करते हैं. गुजिया कीट. फसल को फल और फूल के मौसम में प्रभावित करता है. यदि समय पर इसका नियंत्रण नहीं किया जाता, तो आर्थिकी का नुकसान होता है.

आम की फसल में कीट व रोग/Pests and diseases in mango crop

कीट प्रबंधन/Pest Management

  • मादा कीट मृदा में अण्डों का निक्षेपण करती है जिससे निम्फ निकलकर तने के सहारे पेड़ पर चढते हैं, निम्फ के नियंत्रण हेतु तने के चारों ओर प्लास्टिक शीट लगाकर उसपर ग्रीस का लेप लगाना चहिए.

  • खरपतवार और अन्य घासों को खुदाई/जुताई द्वारा बागों से निकाल देने से सुप्तावस्था में रहने वाले अण्डे धूप, गर्मी द्वारा नष्ट कर दिए जाते हैं.

  • जैविक कारक भी इस कीट के प्राकृतिक नियंत्रण में सहायक पाये गये हैं. परभक्षी कीट, रोडोलिया फुमिडा, मीनोकाइलस सेक्समैक्यूलेटस एवं सुमनियस रेर्नाडाई गुजिया कीट का भक्षण करते हैं

  • बेवेरिया बैसियाना, एक परजीवी फफूंद भी गुजिया कीट को नष्ट करने में सहायक पाई गयी है.

  • कार्बोसल्फॉन 25 ई.सी. (2 मी.ली. प्रति ली. पानी में) अथवा डायमेथोएट 30 ई.सी. (2 मी. ली. प्रति ली.) का छिड़काव निम्फ की प्रारम्भिक अवस्था में करना चाहिए. इन कीटनाशी दवाओं से पूर्ण विकसित निम्फ तथा वयस्क कीटों का नियंत्रण नहीं किया जा सकता.

आम की ड़ासी/फल मक्खी (बैक्टोसेरा डोरसलिस/ Bactocera Dorsalis)

डासी मक्खी आम के फल को क्षति पहुंचाने वाला अत्यन्त महत्वपूर्ण कीट है. इसके प्रकोप की वजह से निर्यात बाजार में आम के मूल्य में भारी गीरावट देखी गयी है, यह कीट दक्षिण भारत में पूरे वर्ष भर पाया जाता है. दूसरी ओर, उत्तर भारत में नवम्बर से मार्च तक शीतकाल में प्यूपा की अवस्था में यह शीतकालीन सुप्तावस्था में रहता है. बसंत ऋतु के अंत में अप्रैल के माह में यह कीट अन्य फलों जो पकने वाले होते हैं, उन पर इस मक्खी का प्रकोप दिखायी पड़ता है. ग्रीष्म काल में इसकी संख्या में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है. इस कीट का आम के अलावा दूसरे फलों पर भी प्रकोप होता है. अमरूद लोकाट, आडू, नीम्बू वर्गीय फसलों पर इसका प्रकोप देखा जा सकता है. कीट फल के अन्दर अंडे देती है तथा उनसे निकलने वाले मेगट फलों के अंदर खाते हैं तथा अत्यधिक खाने से फल जमीन पर गिर जाते हैं तथा प्यूपा निर्माण हेतु मेगट जमीन के अंदर प्रवेश कर जाते हैं.

कीट प्रबंधन -

  • फलों को पकने से पहले ही तोड़ने तथा इस कीट के प्रकोप की अधिकता को कम करने के लिए समस्त गिरे हुए और मक्खी के प्रकोप से ग्रसित फलों को इक‌ट्ठा कर नष्ट कर देना चाहिए.

  • वृक्षों के आस-पास शीतकाल में गुड़ाई/जुताई करने से भूमिगत प्यूपों को नष्ट किया जा सकता है.

  • इस मक्खी को नियंत्रित करने का अन्य उपाय मिथाइल यूजिनाल यौन गंध ट्रैप है. यौनगंध ट्रैप के लिए प्लाईवुड के 5×5×1 सें.मी. आकार के गुटके को 48 घंटे तक 6:4:1 के अनुपात में अल्कोहल मिथाइल वृजिनॉल मैलाथियान के घोल में भिगो कर लगाना चाहिए. यौनगंध ट्रैप को दो माह के अंतर पर बदलना तथा एकत्रित मक्खियों को निकाल कर फेंक देना चाहिए. एक हेक्टेयर के लिये 10 ट्रैप की आवश्यकता होती है.

  • निर्यात करने हेतु फलों को वेपर हीट द्वारा उपचारित करना चाहिए.

लेखक:

अंशुमन सेमवाल1, विश्व गौरव सिंह चंदेल1, सुमित वशिष्ठ1, मंजू देवी2    
 1-औद्यानिकी महाविद्यालय, डॉ. वाईएसपी यूएचएफ नौणी, सोलन
2- औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, थुनाग मंडी

English Summary: Pests and management of mango crop in hindi Aam ki Kheti
Published on: 26 April 2024, 11:29 IST

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