पलाश के फूल को टेसू फूल भी कहा जाता है. इसके फूल काफी आकर्षक होते है. इसीलिए इस फूल को जंगल का आग भी कहा जाता है. अगर प्राचीन काल की बात करे तो पलाश के फूलों के जरिए ही लंबे समय से होली के रंग तैयार किए जाते रहे है. पलाश भारत के सभी प्रकार के प्रदेशों और क्षेत्रों में पाया जाता है. यह एक ऐसा फूल है जो कि मैदान या जंगलों में ही नहीं बल्कि पहाड़ियों की चोटी पर किसी न किसी रूप में अवश्य ही मिल जाता है. पलाश का फूल मुख्य रूप से तीन रूपों में पाया जाता है - वृक्ष रूप में, क्षुप रूप में और लता रूप में. अगर हम इसके तीनों रूपों में सबसे कम पाए जाने वाले रूप की बात करें तो लता रूप में यह बहुत ही कम मिलता है.
ऐसी होती है बनावट
पलाश के फूल आकर्षक और सुंदर होते है. इसका वृक्ष काफी ऊंचा तो नहीं होता है, बल्कि छोटे आकार का होता है. यह झाड़ियों के रूप में एक ही स्थान पर सबसे ज्यादा उगते है. इसके पत्ते और गोल और नुकीले होते है जिनका रंग पीठ की ओर से सफेद और सामने की ओर हरा होता है. इसके पत्ते सीकों के रूप में निकलते है और एक में तीन - तीन फूल होते है. इनकी छाल मोटी और काफी ज्यादा रेशेदार होती है. इसकी लकड़ी भी टेढ़ी - मेढ़ी होती है. इसमें फूल भी निकलता है जो कि आधे चंद्र के आकार का होता है और गहरे लाल रंग का होता है. इसके लाल रंग के कारण ही इसको लाल टेसू कहा जाता है. यह फूल फागुन और चैत के अंत में लगते है.
फूल का महत्व
पलाश के फूल काफी अहम और कीमती होता है. बहुत कम ही लोग इसके गुणों के बारे में जानते है. इसके पेड़ के पत्तों और जड़ को सोने से भी ज्यादा कीमती बताया गया है. ऐसा कहा जाता है कि पलाश के पत्तों में खाना खाने से चांदी के बर्तन जितने फायदे होते है.
हड्डियों को करें मजबूत
पलाश के पत्ते में बहुमूल्य तत्व होते है जो कि शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते है. इसके पेड़ से निकलने वाले गोंद से हड्डियों को काफी ज्यादा मजबूती मिलती है.
गर्मियों में सहायक
पलाश का फूल त्वचा संबंधी रोगों के लिए रामबाण इलाज होता है. इसके फूल को पानी में उबालकर नहाने से त्वचा संबंधी कई समस्या दूर हो जाती है. अगर आपको कोई लू भी लग गई है तो पलाश का फूल आपके लिए काफी फायदेमंद होता है.
औषधीय फसल
पलाश की जड़, पलाश की छाल, पलाश का तना, पलाश की पत्ती, पलाश का पुष्प, पलाश का फल, पलाश का तेल आदि घरेलू इलाज करने के लिए काम में लाया जा सकता है.
नेत्र रोग में साहयक
पलाश की ताजी जड़ों की अर्क का एक बूँद आंखों में डालने से आंखों की झांक, खील और इत्रो सभी प्रकार के रोग मे फायदेमंद होता है.
रतौंधी रोग
पलाश की ताजी जड़ों का अर्क आंखो में डालने से रतौंधी में आराम मिलता है.
लगणड
पलाश फूल के जड़ को घिसकर कान के नीचे बांधने और लेप करने से गलगण्ड में फायदा होता है.