Marigold Flower Cultivation: देश के किसान पारंपरिक खेती से हटकर गैर-पारंपरिक खेती में अपना हाथ अजामा रहे हैं. अधिकतर किसान कम समय में ज्यादा आय कमाने के लिए फूलों की खेती करते हैं और इसमें सफल भी होते हैं. इन्हीं में से एक गेंदा की खेती भी है, जिससे किसान अच्छा खासा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं. मार्केट में गेंदे के फूलों की हमेशा ही मांग बनी रहती है और इसका उत्पादन किसानों के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है. किसान गेंदे की खेती छोटे क्षेत्र में भी कर सकते हैं, इसके लिए बड़े खेतों की आवश्यकता नहीं होती है. अगर आपके पास खाली जमीन है तो आप गेंदे की खेती करके सालभर में लाखों रुपये का मुनाफा कमा सकते हैं. इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए जरूरी है कि आप गेंदा की उन्नत किस्मों का चयन करें.
आज हम आपको कृषि जागरण के इस आर्टिकल में गेंदे की उन्नत किस्मों की जानकारी देने जा रहे हैं.
गेंदा की खेती
गेंदे के फूलों की खेती मौसम के अनुसार की जाती है, इसकी बुवाई जनवरी, अप्रैल-मई और अगस्त-सितंबर में की जाती है. नवरात्रि के दिनों में गेंदे के फूलों का पूजा-पाठ में खूब इस्तेमाल किया जाता है और मार्केट में अच्छे दामों पर भी उपलब्ध होते हैं. पूरे देश में गेंदे के फूल महत्वपूर्ण फूलों में एक माने जाते हैं. गेंदे के फूल का सबसे अधिक इस्तेमाल माला बानाने और सजावट करने के लिए किया जाता है.
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पूसा बहार
अफ़्रीकी गेंदे की इस किस्म की बुआई करने के 90 से 100 दिनों के अंदर फूल आने शुरू हो जाते हैं. इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 75 से 85 सेंटीमीटर तक रहती है. इसके फूलों का रंग पीला होता है और यह देखने में काफी आकर्षक और आकार में बड़े होते हैं. गेंदे की इस किस्म की खेती करने पर जनवरी से मार्च तक ज्यादा फूल आते हैं.
पूसा अर्पिता
पूसा अर्पिता, फ्रेंच गेंदा की एक किस्म है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा 2009 में जारी किया गया था. इसे देश के उत्तरी मैदानी के इलाकों में उगाने के लिए सबसे अच्छी किस्म माना जाता है. उत्तरी मैदानी इलाकों में दिसंबर से लेकर फरवरी तक इसमें हल्के नारंगी फूल पैदा होते हैं. वहीं इसके ताजे फूलों की उपज 18 से 20 टन प्रति हेक्टेयर तक आती है.
पूसा ऑरेंज मैरीगोल्ड
पूसा ऑरेंज मैरीगोल्ड, गेंदे की इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा 1995 में उगाने के लिए जारी किया गया था. इस किस्म के गेंदे की बुवाई करने के 125 से 136 दिनों में इसमें फूल आना शुरू हो जाते है. इसके फूल आकार में बड़े और रंग में गहरे नारंगी होते हैं. इसके ताजे फूलों की उपज 25 से 30 टन प्रति हेक्टेयर तक रहती है.
पूसा दीप
पूसा दीप, फ्रेंच गेंदा की शुरुआती किस्म है. इस किस्म के गेंदे की बुवाई करने के 85 से 95 दिनों बाद फूल आना शुरू हो जाते हैं. उत्तरी मैदानी इलाकों में इस किस्म के गेंदा अक्टूबर और नवंबर में फूलते हैं. इसके पौधा का आकार मध्यम होता है और इनकी ऊंचाई 55 से 65 सेंटीमीटर होती है. इस किस्म के गेंदे के पौधे में ठोस और गहरे भूरे रंग के फूल उगते हैं. पूसा दीप गेंदे की खेती से प्रति हेक्टेयर में 18 से 20 टन तक उपज प्राप्त की जा सकती है.
पूसा बसंती गेंदा
इस किस्म के गेंदे की बुआई करने के 135 से 145 दिनों के बाद इसमें मध्यम आकार के पीले फूल उगने शुरू हो जाते हैं. गलमें और बगीचों में गेंदा का पौधा लगाने के लिए इस किस्म को काफी अच्छा माना जाता है. इस किस्म के गेंदे की खेती करके 20 से 25 टन तक फूलों की उपज प्राप्त की जा सकती है और इससे 0.7 से 1.0 टन प्रति हेक्टेयर बीजों की उपज प्राप्त होती है.