फूलों की खेती (Flower Farming) किसानों के लिए मुनाफेदार साबित होती है, क्योंकि फूलों की मांग हर मौसम और समारोह में रहती है. फूलों का इस्तेमाल (Use Of Flowers) सजावट के लिए भी किया जाता है. इस लेख में एक ऐसे फूल की खेती की जानकारी देने जा रहे हैं, जिससे आप कम समय में मालामाल हो सकते हैं.
दरअसल, भारत में जरबेरा नाम के एक फूल की खेती होती है, जिसकी खेती पूरी दुनिया में की जाती है. और ये सजावटी पौधों के रूप में व्यापक रूप से लोकप्रिय है. फूलों का उपयोग गुलदस्ते बनाने और विभिन्न सजावट उद्देश्यों के लिए किया जाता है. वहीँ, भारत की बात करें, तो जरबेरा फूल की खेती (Gerbera Flower Farming) हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और अन्य हिमालयी क्षेत्रों जैसे राज्यों में की जाती है. जरबेरा के फूल की एक अच्छी बात यह है कि इसे 'ग्रीनहाउस फार्मिंग' के जरिए पूरे भारत में उगाया जा सकता है.
जरबेरा फूल का परिचय (Introduction To Gerbera Flowers)
वैज्ञानिक तौर पर जरबेरा फूल Asteraceae के परिवार का है. जरबेरा के फूल चमकीले रंग के होते हैं, जिनमें पंखुड़ियों से घिरा एक सुनहरा केंद्र होता है, जिस पर पंखुड़ियां किरणों की तरह लगती हैं. जरबेरा फूल को आमतौर पर अफ्रीकी डेज़ी या जरबेरा डेज़ी कहा जाता है. जरबेरा फूल बहुत मांग में है, क्योंकि ये बिना किसी ताजगी के लंबे समय तक चल सकते हैं, इसलिए इनका उपयोग शादियों, पार्टियों और समारोहों में व्यापक रूप से किया जाता है.
जलवायु की आवश्यकता (Climate Requirement)
जरबेरा की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय स्थितियां दोनों उपयुक्त होती हैं. लेकिन, ध्यान दें उपोष्णकटिबंधीय जलवायु के मामले में इसे पाले से बचाना चाहिए, क्योंकि यह पाले के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं.
तापमान की आवश्यकता (Temperature Requirement)
जरबेरा फूल की खेती के लिए सबसे आदर्श तापमान दिन का 22 से 25⁰C के बीच और रात का तापमान 12 से 16⁰C के बीच उचित होता है.
मिट्टी की आवश्यकता (Soil Requirement)
जरबेरा फूलों की खेती के लिए सूखी मिट्टी की जरूरत होती है. चूँकि, इसके पौधे की जड़ों की लंबाई 70 सेमी होती है, इसलिए मिट्टी में आसानी से घुसने योग्य होनी चाहिए, साथ ही बहुत छिद्रपूर्ण होनी चाहिए.
मिटटी का बंध्याकरण (Soil Sterilization)
वहीँ, फूलों के रोपण में मृदा बंध्याकरण एक महत्वपूर्ण कार्य होता है. मिटटी में कई ऐसे कीटाणु पाए जाते हैं, जो फसलों को बर्बाद कर देते हैं, इसलिए मिटटी का बंध्याकरण बहुत जरुरी होता है.
खाद प्रक्रिया (Fertilizer Process)
अच्छी उपज और पौधों के विकास के लिए खाद एक महत्वपूर्ण कदम है. इसके लिए हमें निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए.मिटटी में पहले तीन महीनों के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फेट, पोटेशियम की मात्रा इस 12:15:20 ग्राम अनुपात में डालना चाहिए. वहीँ चौथे महीने में खाद का अनुपात नाइट्रोजन, फॉस्फेट, पोटेशियम 15:10:30 ग्राम/ वर्ग मीटर होना चाहिए. कैल्शियम, मैग्नीशियम, तांबा जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव 0.15 प्रतिशत - महीने में एक बार किया जाता है.
कटाई (Harvesting)
आमतौर पर, जरबेरा के पौधे रोपण के तीन महीने के भीतर फूलना शुरू कर देते हैं, लेकिन, रोपण के बाद शुरुआती दो महीनों में यदि पौधे में कलियां आती हैं, तो उसे तोड़ दिया जाता है. पहले दो महीनों के बाद विकसित होने वाली कलियां फूलों में विकसित होने लगती हैं. जब फूल पूरी तरह से खिल जाते हैं, तो उन्हें काटा जाता है. जब फूल पूरी तरह खिल जाते हैं, तो बाहरी डिस्क को फूल डंठल को फूलों से काटा जाता है और कुछ घंटों के लिए सोडियम हाइपोक्लोराइट के घोल में धोया जाता है. इसके बाद में आकार, छाया के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है और फिर पैक किया जाता है. फूलों को पहले पॉली पाउच में पैक किया जाता है और उन्हें कार्डबोर्ड बॉक्स में पंक्तियों में सेट किया जाता है.