हिमाचल प्रदेश के सिंबलवाड़ा नेशनल पार्क में भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण को वहां पर मछली की एक नई प्रजाति मिली है. चंद साल पहले ही सिंबलवाड़ा को एक नेशनल पार्क का दर्जा दिया गया था. सबसे खास बात तो यह है कि भारतीय प्राणी विज्ञान ससर्वेक्षण को हाल ही में मछलियों की दो तरह की नई प्रजातियां मिली है. इनमें से एक प्रजाति हिमाचल प्रदेश में भी पाई गई है. जो कि काफी दुर्लभ तरह की मछली है.
कालाधान में मिली मछली की नई प्रजाति
सिंलबाड़ा रेसिसमछली की लंबाई 69 एमएम है. भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण ने पहले इस बात को बताया था कि देश के उत्तर पूर्वी और उत्तरी हिस्सों में मछली की दो तरह की नई प्रजातियों का उल्लेख किया गया है.दोनों ही मछलियां सुदूर क्षेत्रों से मिली है, बता दें कि सिंबलवाड़ा के अलावा भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण की टीम को मछली की दूसरी प्रजाति म्यांमार की सीमा पर मिजोरम के चंपई जिले में मिली है. इसकी खोज कालाधान नदी में की गई है.
मिली कुल चार नई प्रजाति
बता दें कि सिंबलबाड़ा में पाई गई मछली की नई प्रजाति की खासियत कुछ ऐसी है कि जो पानी में उसको पैंतरेबाजी को सिखाने में काफी ज्यादा मदद करती है. यहां के सिरमौर के सिंबलबाड़ा में पाई गई मछली की प्रजाति का नाम भी सिंबलबाड़ा से जोड़कर रख दिया गया है. विशेषज्ञों की मानें तो हिमालय और भारत के उत्तर पूर्वी हिस्सों और अन्य राज्यों में इस मछली का विकास संभव था. सिंबलबाड़ा से मिली इस नई प्रजाति को गारा सिम्बला रेसिस बताया गया है. इससे पहले इस क्षेत्र को तितलियों के लिए भी विकसित करने की कोशिश की गई थी लेकिन धरातल पर कोशिश वास्तविकता में नहीं बदल सकी. गारा सिम्बल रेसिस मछली के अलावा वर्ष 1998 से अब तक वैज्ञानिकों ने मछली की कुल चार नई प्रजातियों को खोजा है.
जल निकायों की संख्या बढ़ी
वन्य प्राणी विशेषज्ञ का कहना है कि यह काफी खुशी की बात है कि हिमाचल में मछली की नई प्रजाति पाई गई है. यह वैज्ञानिकों के बीच चर्चा का अहम विषय है. सूबे के सारे वन्य प्राणी खुश है.इसके अलावा सिंबलबाड़ा में जल निकायों की संख्या ज्यादा हो गई है इससे काफी फायदा हो रहा है.