Mastitis Disease: पशुओं में होने वाला थनैला रोग शारीरिक रूप से बहुत कमजोर कर देता है. इसके साथ ही यह सामान्य से ज्यादा पीड़ादायक होता है. इस रोग के कारण कई बार डेयरी पालकों को बहुत ज्यादा नुकसान भी उठाना पड़ता है. बैक्टीरिया के कारण फ़ैलाने वाला यह रोक संक्रामक होता है. जिस कारण इस पर तुरंत उपचारात्मक कार्यवाही न की जाए तो इससे अन्य पशुओं के बीमार होने की भी सम्भावना बढ़ जाती है. थनैला रोग सबसे ज्यादा गाय और भैंस में होता है.
इसका कारण यह है कि यह पशु थनैला रोग के बैक्टीरिया के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील होते हैं. आपको जानकारी के लिए बता दें कि पशुओं में यह रोग स्ट्रेप्टोकोकस जीवाणुओं द्वारा होता है.
थनैला रोग क्या है?
थनैला रोग पशुओं के थन का एक संक्रमण है जो मुख्य रूप से बैक्टीरिया के प्रवेश के कारण होता है. संक्रमित थन कम दूध और निम्न गुणवत्ता का दूध पैदा करता है. बीमारी का खतरा तब बढ़ जाता है जब इस रोग के कारण पशुओं में दस्त और भूख न लगने जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं. गाय-भैंसों में अधिकतर यह रोग स्ट्रेप्टोकोकस जीवाणुओं द्वारा होता है, लेकिन भारत में मुख्य रूप से इस रोग को फैलाने में स्टैफिलोकोकाई जीवाणु के कारण होता है. इस संक्रमण के चलते पशुओं के थानों के साथ में पूरे शरीर में कई तरह की बीमारियां होने की सम्भावना रहती हैं.
थनैला रोग के लक्षण
- थन में हल्की से ज्यादा सूजन
- थन को छूने पर अत्यधिक गर्म महसूस होना
- थन दिखने में लाल
- थन को छूने पर गाय को असुविधा होगी
- गंभीर मामलों में, गाय के शरीर का तापमान बढ़ जाएगा
- वह जो दूध पैदा करेगी वह पानी जैसा दिखेगा
- दूध में परतें, थक्के, मवाद या खून हो सकता है
थनैला रोग को कैसे रोकें?
- एक गाय से दूसरी गाय में संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए इनको अलग-अलग रखने की व्यवस्था करें.
- नियमित रूप से आसपास की सफाई करें साथ ही इनके प्राथमिक उपचार का भी प्रबंध करें.
- रोगग्रस्त पशु को अन्य पशुओं के पास जाने से और गन्दगी में जाने से बचाएं.
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- दूध निकालने वाले उपकरणों को सावधानीपूर्वक साफ किया जाना चाहिए
- थानों को प्राथमिक उपचार से साथ लोबान के धुंए से हल्की सिकाई करें.
- डॉक्टरी परिक्षण कराएं और समय पर उपचार को उपलब्ध कराएं.