विभिन्न तत्वों की आवश्यकता मनुष्य, पशु या फिर पेड़ पौधों को होती है. इन तत्वों की कमी होने पर ये सभी उस तत्व से सबंधित लक्षण उत्पन्न करते है. इन तत्वों की पूर्ति न हो पाने से उत्पादन में कमी आना स्वाभाविक है. पशु को उसकी अवस्था के अनुसार संतुलित आहार देना चाहिए. पशुओं में विभिन्न तरह के लक्षण देखे जा सकते है जिन्हे पहचान कर संबन्धित तत्व की कमी को पूरा किया जा सके. ये लक्षण या रोग इस प्रकार है-
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जिंक: जिंक तत्व कई एंजाइम्स के निर्माण में मदद करता है जिससे प्रोटीन संश्लेषण में कमी एवं कार्बोहाइड्रेट के उपापचय में बाधा उत्पन्न होने लगती है. पशु के शरीर की त्वचा संबंधी विकार हो जाते है जैसे त्वचा रूखी, कड़ी एवं मोटी हो जाती है.
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आयोडीन: आयोडिन थायरॉइड नामक हार्मोन के संश्लेषण के लिये अति आवश्यक है, अतः आयोडीन की कमी से थायरॉइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है और पशु का गला सुज जात है. जिससे उसे खाने पीने में कठनाई का सामना तो करना ही पड़ता है, साथ हे साथ कमजोरी भी आ जाती है तथा उत्पादन में भरी गिरावट आ जाती है.
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कोबाल्ट: जुगाली करने वाले पशुओं के लिये अति आवश्यक है क्योंकि यह शरीर में बहुत ही सीमित मात्रा में पाया जाता है. कोबाल्ट की कमी मुख्यत: खाद्य पदार्थों में इसलिये होती है क्योंकि जिस मृदा में खाद्यान्नों को उगाया गया है, उस मृदा में भी इसकी कमी थी। यह कोबाल्ट तत्व कार्य है की यह विटामिन बी12 के संश्लेषण में मदद करता है जिससे लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण एवं वृद्धि में मदद मिलती है. कोबाल्ट की कमी से भूख न लगना कमजोरी, पाइका, दस्त लगना तथा बांझपन इत्यादि रोग या लक्षण प्रकट हो जाते हैं.
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कॉपर/तांबा: यह ऐसे एंजाइम के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है जो कोशिकाओं की क्षति को रोकते या कम करते हैं. इसकी कमी से पशु की हड्डियों में मजबूती कम हो जाती हैं जिससे विकृति उत्पन्न हो जाती है इससे पशु लगड़ा कर चलता है. बालों का रंग असामान्य हो जाता है जैसे कि लाल गाय का रंग पीला हो जाता है एवं काले रंग की गाय का रंग मटमैला या स्लेटी हो जाता है. ये सभी लक्षण कॉपर की कमी से हो जाते है.
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विटामिन ई एवं सेलेनियम: यह वृद्धि एवं प्रजनन के लिये बहुत ही आवश्यक खनिज है. विटामिन ई एवं सेलेनियम दोनों ही शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैं.
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मैगनीज: इसकी कमी से पशुओं में गर्भाधान की दर में कमी आ जाती है। पशु के हीट में नहीं आना, बांझपन एवं मांसपेशियों में विकृति इत्यादि रोग मैगनीज की कमी से हो सकते हैं.
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आयरन/लौह: यह हिमोग्लोबिन का अच्छा स्त्रोत है, इसकी कमी से नवजात बछड़ें एवं सुअरों में एनीमिया (खून की कमी) हो जाता है. खून निर्माण में आयरन का महत्वपूर्ण योगदान है.