भेड़ पालन (Sheep rearing) का व्यवसाय ग्रामीण अर्थव्यस्था और सामाजिक संरचना से जुड़ा है. इस व्यवसाय से मांस, दूध, ऊन, जैविक खाद सहित अन्य उपयोगी सामग्री प्राप्त होती है. इस कड़ी में पशुपालकों और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए केंद्रीय भेड़ और ऊन अनुसंधान संस्थान (Central Sheep and Wool Research Institute) द्वारा भेड़ की नस्ल विकसित की गई है. इस नस्ल को अविशान भेड़ के नाम से जाना जाता है. जानकारों का कहना है कि पशुपालकों और किसानों के लिए भेड़ की यह नस्ल बेहद उपयोगी है. आइए आपको अविशान भेड़ के जुड़ी जानकारी देते हैं.
क्या है भेड़ की अविशान नस्ल (What is Avishan breed of sheep)
भेड़ की यह नस्ल 1 साल में 2 से ज्यादा बच्चे देती है, साथ ही इस नस्ल से मीट भी बहुत ज्यादा मिलता है. बता दें कि भारतीय नस्ल की भेड़ें 1 साल में 1 ही बच्चा देती है, लेकिन अविशान भेड़ 2 से अधिक बच्चे दे सकती है. आज के समय में लिए अधिकतर पशुपालकों का रूझान इसके पालन की ओर बढ़ रहा है. देश के कई राज्यों में पशुपालक अविशान भेड़ का पालन कर रहे हैं. बताया जाता है कि इस नस्ल को राजस्थान की स्थानीय नस्ल मालपुरा, पश्चिम बंगाल की गैरोल और गुजरात की पाटनवाड़ी के संकरण से तैयार किया गया है.
अविशान भेड़ का पालन है सरल (Avishan sheep rearing is simple)
भेड़ों की हर नस्ल के लिए अलग-अलग जलवायु की आवश्यकता होती है, लेकिन अविशान भेड़ को हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र समेत सभी राज्यों में आसानी से पाल सकते हैं. जिन किसानों के पास प्राकृतिक संसाधनों की कमी होती है या फिर वह शुष्क या अर्ध शुष्क क्षेत्र में रहते है, वहां भी इस भेड़ का पालन बहुत आसानी से किया जा सकता है.
भेड़ पालन करना है लाभकारी (Sheep rearing is beneficial)
देशभर में लगभग 50 लाख परिवार भेड़ पालन और इससे जुड़े हुए रोजगार से अपना जीवन यापन कर रहे हैं. भेड़ कम वर्षा वाले शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती हैं. भारत में प्रति भेड़ से सालभर में लगभग 1 किलोग्राम से कम ऊन का उत्पादन होता है. इसके अलावा मांस उत्पादन की बात करें, तो भेड़ों का औसत वजन 25 किलो से 30 किलो के बीच होता है, इसलिए भेड़ों की नस्लों में सुधार किया जा रहा है, ताकि उनसे अधिक ऊन, दूध और मांस प्राप्त किया जा सके. इसके लिए केन्द्रीय भेड़ और ऊन अनुसंधान संस्थान काम कर रहा है.
अविशान नस्ल के लिए ऐसे करें संपर्क (Contact for Avishan breed like this)
अगर कोई पशुपालक या किसान अविशान नस्ल को पालना चाहता है, तो इसके लिए वह संस्थान के निदेशक को पत्र लिखकर उसमें अपना पता और मोबाइल नंबर दे सकता है. बता दें कि जब भी इन भेड़ों की यूनिट उपलब्ध होती है, तब पशुपालक और किसानों को फोन करके जानकारी दी जाती है.