देशभर में किसान और पशुपालक गाय की कई नस्लों का पालन करते हैं. गाय की हर नस्ल का विकास राज्य की जलवायु के आधार पर होता है. मौजूदा समय में अगर गाय की उन्नत नस्ल का पालन किया जाए, तो बहुत अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं.
गाय की कई नस्लें भी हैं, जिनके बारे में किसानों और पशुपालकों को जानकारी भी नहीं है, ऐसी ही गाय की खेरीगढ नस्ल (Kherigarh Cow) है. यह मालवी नस्ल समतुल्य होती है. यह उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में प्रमुखता से पाई जाती है. इसका नाम खीरी जिले के नाम पर खैरीगढ़ पड़ा है. आइए आपको गाय की इस नस्ल की विशेषताएं बताते हैं.
खेरीगढ गाय की संरचना (Structure of Kherigarh Cow)
इस गाय की त्वचा का रंग सफेद व सलेटी होता है. यह काफी चंचल नस्ली होती है. इसके साथ ही परिवहन के लिए मुख्य रूप से उपयोगी है. चेहरा छोटा, माथा, चौड़ा व सपाट होता है. आंखे बड़ी, चमकदार और उभरी हुई होती हैं. अगर सींग की बात करें, तो ये मध्यम आकार के होते हैं और ऊपर की ओर खड़े हुए रहते हैं. ये नस्ल मालवी के अपेक्षा हल्की प्रतीत होती है. गायों में कूबड़ छोटा व बैलों में मध्यम आकार का होता है.
गले की झालर सीधे ठोड़ी के नीचे से प्रारंभ होती हुई लटकी एवं पतली होती है. पैर हल्के व सीधे होते हैं. पूंछ धरती को छूती हुई होती है तथा अंतिम छोर काले रंग का होता है. बांक छोटा व शरीर के साथ सटा हुआ होता है. इस नस्ल के थन छोटे व गोलाई लिए हुए होते हैं. त्वचा थोड़ी सी काली व ढीली होती है. खुरों का रंग काला व आकार छोटा होता है. बैल बहुत उपयोगी होते हैं.
खेरीगढ गाय से दूध उत्पादन (Milk production from Kherigarh cow)
इस नस्ल की गाय कम मात्रा में दूध देती हैं. यह गाय सालभर में 1 से 1.5 लीटर दूध प्रतिशत दे सकती है.
यहां मिल सकती है खेरीगढ गाय (Kherigarh cow can be found here)
अगर किसी को खेरीगढ गाय खरीदना है, तो वह राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट https://www.nddb.coop/hi पर जाकर विजिट कर सकते हैं. इसके अलावा आप अपने राज्य के डेयरी फार्म में संपर्क कर सकते हैं.