नीलगाय से किसानों की फसलों को बहुत ज्यादा नुकसाना होता है. इनके आक्रमण से सरसों, आलू और गेहूं की फसलें पूरी तरह से खत्म हो जाती हैं. समय के साथ इनका अटैक बढ़ता ही जा रहा है. नीलगाय आम तौर पर रात में घूमने वाले जानवार होते हैं लेकिन बढ़ते मानव अतिक्रमण और तेजी से जंगलों की हो रही सफाई के कारण इनका मानव बस्तियों में घूमना आम बात हो गई है. ऐसे में किसानों की फसलों को नुकसाना और ज्यादा होने लगा है. आज हम आपको इन नीलगायों से फसल को होने वाले नुकसान के उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं.
नीलगाय से फसलों को बचाने का तरीका
खेती की चारदीवारी
खेतों को नीलगाय के आक्रमण से बचाने के लिए खेत के चारों तरफ 9 से 12 फीट की ऊंची दीवारों का घेरा कर देना चाहिए. यह ध्यान रखें की नीलगाय छोटी दीवारों को आराम से लांध जाते हैं, ऐसे में दीवारों की ऊँचाई को ज्यादा रखना जरुरी होता है.
वनों की सुरक्षा
नीलगायों का आवास जंगल में होता है. ऐसे में वनों और जंगलों की अंधाधुन कटाई के कारण इनको अपने आवास की जगह नहीं मिलती है. किसान खेती की जमीन के लिए लगातार जंगलों को साफ करते जा रहा हैं, जिस कारण यह नीलगाय विवश होकर मानव बस्ती की ओर पलायन करते जा रहे हैं. इनके बचाव के लिए हमें इनके प्राकृतिक आवास की सुरक्षा करनी चाहिए और अपने आस-पास के जंगल, बगीचों को काटने से बचना चाहिए.
फसलों की पहरेदारी
अगर किसान भाई खेत के चारों तरफ दीवारों को घेरा बनाने में सामर्थ्य नहीं हैं तो इनसे बचाव के लिए आपको पहरेदारी करनी पड़ेगी. नीलगायों के आक्रमण का समय तड़के सुबह तीन, चार बजे से सूरज निकलने तक तथा शाम में सूरज डूबने के बाद बहुत ज्यादा होता है. इस समय में किसानों को खेतों की पहरेदारी बढ़ा देनी चाहिए.
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पालतू कुत्तों से रखवाली
नीलगाय के आक्रमण से बचने के लिए आप उत्तम किस्म के प्रशिक्षित कुत्तों को रख सकते हैं. यह कुत्ते नीलगायों के आने पर भौंकने लगेंगे इससे आप की फसल को कोई नुकसान नहीं होगा. यह कुत्ते जगंली जानवरों की आहट से भौंकने लगते हैं, जिससे नीलगायों को झुण्ड कुत्तों के शोर से खुद भाग जाएगा.