सोमानी क्रॉस X-35 मूली की खेती से विक्की कुमार को मिली नई पहचान, कम समय और लागत में कर रहें है मोटी कमाई! MFOI 2024: ग्लोबल स्टार फार्मर स्पीकर के रूप में शामिल होगें सऊदी अरब के किसान यूसुफ अल मुतलक, ट्रफल्स की खेती से जुड़ा अनुभव करेंगे साझा! Kinnow Farming: किन्नू की खेती ने स्टिनू जैन को बनाया मालामाल, जानें कैसे कमा रहे हैं भारी मुनाफा! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 25 April, 2020 12:00 AM IST

हर साल विश्व पशु चिकित्सा दिवस (World Veterinary Day) अप्रैल के अंतिम शनिवार को मनाया जाता है. इस दिवस का उद्देश्य पशुओं की देखभाल, उनमें पाए जाने वाले जीवाणुओं की दवाओं और बीमारियों के प्रति लोगों को जागरुक करने का है. इस कार्य में विश्व पशु चिकित्सा संघ लगातार प्रयास करता है. सभी जानते हैं कि हमारे देश में पशुपालन का चलन बहुत पुराना है. किसान खेतीबाड़ी के साथ-साथ पुशपालन जरूर करता है. देश में कई प्रकार के पशुओं का पालन किया जाता है. इसमें भैंस का पालन भी शामिल हैं. यह एक ऐसा दुधारू पशु है, जिसका दूध गाय के दूध से ज्यादा पसंद किया जाता है.

भैंस की कई नस्लें होती हैं, जिसमें एक पंढरपुरी भैंस भी है. यह नस्ल देश में अधिकतर पंढरपुर, पश्चिम सोलापुर, पूर्व सोलापुर, बार्शी, अक्कलकोट ,सांगोला, मंगलवेड़ा, मिराज, कर्वी, शिरोल, रत्नागिरी समेत कई अन्य जगहों पर पाई जाती है. इस नस्ल की भैंस को धारवाड़ी भी कहा जाता है, जिसका पालन सूखे क्षेत्रों में  करना अनुकूल माना जाता है.

काफी मशहूर है पंढरपुर भैंस

कहा जाता है कि इस भैंस का नाम पंढरपुर नामक गांव से पड़ा था, जो सोलापुर जिले में आता है. इस भैंस की सींग काफी लंबी यानी लगभग 45–50 सेंटीमीटर तक होती हैं, जिन्हें कई बार मोड़ना पड़ता है. मगर इस भैंस की सींगें बहुत आकर्षित होती हैं. इनकी संरचना की वजह से ही यह देशभर में काफी मशहूर है. यह अधिकरत हल्के और गहरे काले रंग में पाई जाती हैं. कुछ पंढरपुरी भैंसों के सर और पैर पर सफेद निशान भी होते हैं. बता दें कि इस भैंस का सिर लंबा और पतला होता है. इनकी नाक की हड्डी भी बड़ी होती है.

डेयरी के लिए उपयुक्त हैं पंढरपुरी भैंस

इन भैंसों का वजन लगभग 450 से 470 किलो का होता है, जो कि डेयरी के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती हैं. खास बात है कि इस नस्ल की भैंस औसतन 6-7 लीटर दूध देती है. अगर इन भैंसो को अच्छी मात्रा में खाद दिया जाए, तो यह  15 लीटर तक दूध भी दे सकती है.

प्रजनन क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं पंढरपुरी भैंस

इस नस्ल की भैंस प्रजनन क्षमता के लिए बहुत मशहूर हैं, क्योंकि यह हर 12–13 महीने में एक बछड़े/बछिया को जन्म देने की क्षमता रखती है. इसके बाद लगभग 305 दिन तक दूध देने की क्षमता रखती हैं.

पंढरपुरी भैंस का दूध लाभकारी  

आपको बता दें कि इन नस्ल की भैंसों के दूध में लगभग 8 प्रतिशत वसा की मात्रा होती है. यह भैंस बहुत ही कठोर और मजबूत होती है.

ये खबर भी पढे़ं: LPG Subsidy: गैस सब्सिडी का पैसा खाते में आया या नहीं, घर बैठे मोबाइल से करें चेक

English Summary: Pandharpuri buffalo gives the most milk
Published on: 25 April 2020, 01:40 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now