जयंती रोहू मछली रोहू प्रजाति की एक उन्नत किस्म मानी जाती है. यह किस्म महज 9 से 12 महीने में बेचने लायक हो जाती है. यह आम रोहू मछली की तुलना में जल्दी ग्रोथ करती है. वहीं इसके पालन में 20 प्रतिशत खर्च की कमी आती है, वहीं मुनाफे में 23 प्रतिशत की वृध्दि होती है. यह एरोमोनास रोग के प्रतिरोधक होती है. जयंती रोहू मछली का विकास महज 53 दिन में हो जाता है. तो आइए जानते हैं इस किस्म के बारे में-
इन राज्यों में होता है मछली पालन-
रोहू की इस किस्म का पालन देश के आंध्रप्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम राज्यों में होता है. वहीं दूसरे राज्यों में भी धीरे-धीरे इसका पालन बढ़ा है. 2019-20 में जयंती रोहू का कुल उत्पादन 1 लाख टन से ज्यादा हुआ जो कि कुल रोहू मछली उत्पादन का 11 प्रतिशत है.
जयंती मछली की खासियत-
इस किस्म का पालन छोटे-बड़े जलस्त्रोतों में किया जा सकता है. देशभर में जयंती मछली के बीजों की मांग रहती है. यह अन्य मछलियों की तुलना में अधिक पौष्टिक होती है. वहीं मछुआरों को कम समय में अधिक लाभ मिल जाता है. यह मछली 9 से 12 महीने में ही बढ़कर ढाई किलोग्राम की हो जाती है.
कम खर्च, ज्यादा कमाई-
अन्य मछलियों की तुलना में जयंती रोहू के पालन की लागत प्रति किलोग्राम 12 रूपये कम आती है. इससे मत्स्य पालकों को अच्छा लाभ मिलता है. भारत में जयंती रोहू मछली का सालाना बाजार मूल्य 1313 करोड़ रूपए है.
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