मत्स्य पालन देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है. लगभग 2.3 करोड़ से भी ज्यादा किसान आज मछली पालन करता है. मत्स्य पालन क्षेत्र हर साल 10.88% की वृद्धि से आगे बढ़ रहा है. इसी को देखते हुए हाल ही में भारत सरकार ने 2020 में "प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरुवात की है. जिसके अंतर्गत ₹ 20,000 करोड़ मत्स्य पालन क्षेत्र में निवेश किए जायेंगे.
मछली पालन करने में किसानो को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जिसमें से एक समस्या है मछली बीज की खरीद. मछली बीज की उपलब्धता को लेकर किसान के पास उपयुक्त जानकारी न होने के कारण उन्हे मछली बीज दूर से मंगवाना पड़ता है, जिससे मछली बीज के मरने की संभावना बढ़ जाती है और लागत भी ज्यादा आती है.
इन्ही समसायो का हल करने के लिए, हरियाणा के तीन शिक्षित युवकों द्वारा (शोभित अग्रवाल, सुधीर और दिव्यम गोयल) एक नए online मत्स्य मंच “मांझा/ Manjha” की शुरुवात की गई. इस ऐप का समर्थन (केंद्रीय मंत्री - पशुपालन डेयरी और मत्स्य पालन ) श्री पुरषोत्तम रूपपाला (केंद्रीय मंत्री - पशुपालन डेयरी और मत्स्य पालन विभाग) द्वारा भी किया गया है.
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मांझा ऐप/ Manjha App - यह एक लोकेशन बेस्ड ऐप है, जिससे किसान अपने नजदीकी किसान/ हैचरी के पास उपलब्ध मछली बीज की जानकारी ले सकता है और बिना किसी बिचौलिए के मछली बीज खरीद और बेच सकता है. "मांझा - मत्स्य किसान की एक नई उड़ान" भारत की पहली मुफ्त ऑनलाइन मत्स्य बीज मण्डी है, जिसके माध्यम से किसान अपनी पसंद और बजट के अनुसार नजदीकी हैचरी और मत्स्य किसानों से मछली बीज खरीद या बेच सकते है , बिना किसी शुल्क के अभी इस मंच के साथ चार हजार से भी ज्यादा किसान जुड़े हुए और मछली बीज का लेन देन कर रहे है.
मत्स्य किसान को मछली पालन करते हुए जो परेशानिया आती है, तो वह वो मत्स्य हेल्पलाइन नंबर 70712-70718 पर कॉल कर कर पूछ सकता है और साथ ही मांझा ऐप के जरिए मछली पालन से जुड़ी नई जानकारी , गवर्नमेंट की नई स्कीम्स व नई नीतियों के बारे में जान सकता है. यह ऐप अभी हिंदी और इंग्लिश भाषा में है और जल्द ही बाकी भाषा जैसे बंगाली , कन्नड़ , तमिल , गुजराती और अन्य भाषाओं में भी इस ऐप को लॉन्च किया जाएगा.
शोभित अग्रवाल जी जो मांझा ऐप के संस्थापक है उन्होंने बताया कि आने वाले समय के अंदर मांझा ऐप पर जल्द मछली का खाना/feed , दवाइया और अन्य मछली पालन करने में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को किसानो के उपयुक्त दरों पर उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी.
लेखक
शोभित अग्रवाल