आज के समय में किसान व पशुपालन भाइयों के लिए बकरी पालन का व्यवसाय (Goat Farming Business) बहुत ही तेजी से उभर कर सामने आ रहा है. क्योंकि इसके बिजनेस से लागत कम और कमाई अधिक होती है. अगर आप बकरी पालन को वैज्ञानिक विधि से करते हैं, तो आप कम समय में अच्छा लाभ पा सकते हैं और साथ ही इसके पालन में आपको कई तरह की मदद भी प्राप्त होगी. तो आइए आज के इस लेख में हम बकरी पालन की वैज्ञानिक विधि (Scientific Method of Goat Rearing) की पूरी डिटेल विस्तार से जानते हैं..
बकरी पालने से पहले अच्छी नस्लों का करें चयन
अगर आप बकरी पालन (Goat Farming) करते हैं, तो आपको इसकी अच्छी नस्ल का ज्ञान होना चाहिए जिसे पालकर आप लाभ पा सकें. जमुनापारी, बरबरी, बीटल, कच्छी, गद्दी, 'द गोट ट्रस्ट', गुजरी, सोजत, करौली बकरी आदि नस्लों का पालन करें.
बकरी पालन की वैज्ञानिक विधि
अगर आप पहली बार बकरी पालन कर रहे हैं, तो सबसे पहले आप इसके लिए प्रशिक्षण प्राप्त करें. सरकार की कई संस्थाएं हैं, जो मुफ्त में बकरी पालन की ट्रैनिंग देती हैं. इनमें से कुछ मथुरा स्थित केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान- फ़ोन: (0565) 2763320, 2741991, 2741992, 1800-180-5141 (टोल फ्री) और लखनऊ स्थित द गोट ट्रस्ट (Mobile – 08601873052 to 63) आदि हैं.
बकरी पालन के लिए किसानों व पशुपालकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह सही समय पर इसे गर्भित कराए और साथ ही स्टॉल फीडिंग की विधि को अपनाएं.
गाभिन करने के लिए सितंबर से नवंबर और अप्रैल से जून माह होता है.
इसके अलावा उचित मात्रा में इनके चारे-पानी का इंतजाम करें.
साफ-सफाई का भी अच्छे से ध्यान रखें.
जब बकरी का बच्चा पैदा होता है, तो उसे मां का ही पहला दूध पीने दें. ऐसा करने से बकरी में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और साथ ही इनकी मृत्यु दर में भी कमी देखने को मिलती है.
समय-समय पर अपने नजदीकी पशु चिकित्सा में जाकर इनसे जुड़े कीटाणु नाशक दवाएं जरूर दें.
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बकरी के पालन पोषण में मदद
भारत सरकार (Indian government) की ऐसी कई योजनाएं हैं, जो बकरी पालन में आर्थिक रूप से मदद करती हैं. ताकि किसानों व अन्य नागरिकों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके. सरकार की योजना के बारे में पता करने के लिए आपको अपने नजदीकी बैंक, कृषि विज्ञान केंद्र या फिर पशु चिकित्सालयों में जाकर संपर्क करना होगा कि इस समय बकरी पालन के लिए क्या स्कीम है और वह कैसे इसका लाभ उठा सकते हैं.