किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है. आज के दौर में जितना बढ़ावा कृषि क्षेत्र को दिया जा रहा है, उतना ही बढ़ावा ग्रामीण क्षेत्रों में नए रोजगार पैदा करने को दिया जा रहा है. सरकार का उद्देश्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को रोजगार के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े. ऐसे में सरकार मधुमक्खी पालन को खूब बढ़ावा दे रही है. इस बीच मोदी सरकार ने देश में मीठी क्रान्ति लाने का लक्ष्य बनाया है, इसलिए मधुमक्खी पालन को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके अलावा राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन व शहद मिशन को मंजूरी दी गई है.
क्या है राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन व शहद मिशन
ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को रोजगार के नए अवसर देने के लिए सरकार राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन व शहद मिशन को स्वीकृत किया है. बता दें कि इस मिशन में वैज्ञानिकों द्वारा मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है. मधुमक्खी पालक को मधुमक्खी पालन में कई समस्याएं आती हैं. इसमें बड़ी समस्या शहद उत्पादन में उपयोग होने वाले छत्तों का रखरखाव है. इसकी वजह से शहद की शुद्धता काफी प्रभावित होती है, लेकिन अब मधुमक्खी पालक को किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा. दरअसल, भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा मधुमक्खी पालकों के लिए एक ऐसा फ्रेम विकसित हुआ है, जिसका रखरखाव करना बहुत आसान है. खास बात है कि यह शहद की गुणवत्ता और हाइजीन को बनाए रखेगा.
वैज्ञानिकों का बनाया मधुमक्खी के छत्ते की फ्रेम
आपको बता दें कि राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन व शहद मिशन के तहत एक मधुमक्खी के छत्ते का फ्रेम तैयार किया गया है. इसमें मिशन में केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ), हिमालय और हिमालय जैव-संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी), पालमपुर के वैज्ञानिकों ने मिलकर काम किया है. बता दें कि वैज्ञानिकों ने पारंपरिक छत्ते में सुधार करके नए छत्ते को तैयार किया है. इसकी खासियत है कि इस फ्रेम और मधुमक्खियों को बिना छेड़े शहद निकाला जा सकता है.
कैसे काम करेगा नया छत्ता
नए विकसित छत्ते के शहद फ्रेम में एक चाभी होगी. इस चाभी को नीचे की तरफ घुमाकर शहद प्राप्त होगा. यह तरीका पारंपरिक विधि की तुलना में बहुत आसान होगा. यह शहद को कई अशुद्धियों से भी बचाएगा. इसके साथ ही शहद की शुद्धता और उच्च गुणवत्ता का बनाए रखेगा.
छत्ते के फ्रेम की खासियत
सबसे अच्छी बात है कि इस छत्ते का शहद एकदम हाइजीनिक होगा. इसके अलावा मधुमक्खियों की मृत्यु दर को नियंत्रित कर सकते हैं. इसमें लागत भी कम लगेगी. इस छत्ते के उपयोग से मधुमक्खी पालक सालभर में 40 से 45 से किलो शहद निकाल सकता है. बता दें कि इसका उत्पादन अच्छी देखभाल पर भी निर्भर करता है.
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