पशुओं का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है. इनसे हमें ऊन, शहद, दूध आदि जैसी चीजें मिलती हैं. कई लोग पशुपालन का व्यवसाय करके हर महीने जबरदस्त मुनाफा कमाते हैं. वहीं, पशु भी इंसान की तरह कभी-कभी बीमारियों का शिकार हो जाते हैं. जिनसे उभरने में उन्हें काफी वक्त लग जाता है. ऐसे में पशुपालकों की जेब पूरी तरह से खाली हो जाती हैं. आज हम आपको पशुओं में होने वाले रोग और उनसे बचाव के बारे में बताने जा रहे हैं. तो आइये उसके बारे में जानें...
खुरपका-मुंहपका बीमारी
यह बीमारी पशुओं में वायरस से होती है. इस बीमारी में जानवरों का मुंह व खुर पक जाता है. जिनसे उन्हें काफी तकलीफ होती है. यह गाय, भैंस, बकरी सहित सभी पालतू जानवरों में हो जाता है. जिस पशु को यह बीमारी पकड़ लेती है तो उसे एक टीका लगाया जाता है. जिसका नाम 'पॉलीवलेंट' है. यह टीका पशुओं के लिए काफी असरदार होता है. उन्हें जल्द ही इससे राहत मिल जाती है.
पोकनी रोग
यह रोग केवल बकरियों में होता है. यह बीमारी बरसात के तुरंत बाद बकरियों में फैलती है. पशुओं के अंदर ये बीमारी वायरस के जरिए उत्पन्न होती है. इसका इलाज डॉक्टर की सलाह से दवा देकर किया जाता है. हालांकि, बकरियों को साफ-सफाई से रखा जाए तो इस बीमारी के फैलने की संभावना कम रहती है.
यह भी पढ़ें- गाय समेत कई दुधारू पशुओं में फैल रही लंपी स्किन डिजीज, जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय
रानी खेती बीमारी
यह बीमारी मुर्गियों में वायरस के माध्यम से होती है. इसे दवा व विटामिन देकर ठीक किया जाता है.
थनौला बीमारी
जितने भी थन वाले पशु हैं, जैसे कि गाय, भैस और बकरी. उन्हें कभी-कभी थनौला बीमारी भी पकड़ लेती है. यह रोग बैक्टीरिया के कारण फैलता है. इसमें दुग्ध ग्रंथ सूज जाती है. जिससे पशुओं को काफी दर्द होता है.
गलाघोटू बीमारी
गाय, भैस और बकरी सहित तमाम पशुओं में यह बीमारी आम है. यह एक तरह का संक्रमण होता है. जिसमें पशुओं को सांस लेने में तकलीफ होती है. ये बीमारी जानवरों के बीच बैक्टीरिया की वजह से होती है.
अफारा रोग
गाय और भैस में यह रोग पाया जाता है. ये बीमारी दूषित खाने की वजह से होती है. इससे बचाव के लिए सही तरीके से खाने का खास ध्यान रखना पड़ता है. इसके आलावा, गाय-भैंस में मिल्क फीवर भी कॉमन है. जो कैल्शियम की कमी के कारण होती है. इस बीमारी में भी पशुओं को काफी तकलीफ होती है. इससे बचाव के लिए उन्हें कैल्शियम की मात्रा भरपूर देनी होती है.