हिंदू धर्म में अमावस्या को बहुत ही खास माना जाता है. इस दिन पितरों और पूर्वजों को श्रद्धा अर्पित कर उन्हें विदाई दी जाती है. इसके बाद गायों को खीर-पूरी और हलवा खिलाने का भी रिवाज है. ताकि उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिल सकें और साथ ही वह व्यक्ति जो गायों को खीर-पूरी और हलवा आदि खिलाते हैं वह पुण्य कमा सकें. लेकिन पुण्य कमाने के चक्कर में कभी-कभी वह व्यक्ति पाप का भागीदार बन जाता है. दरअसल, ऐसे मामले अकसर सामने आते हैं जिनमें खीर-पूरी और हलवा आदि खिलाने की वजह से गायों की मौत हो जाती है. वहीं, पूजा-पाठ के बाद गायों को खिलाएं गए पकवान को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. जय प्रकाश ने गायों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सलाह जारी की है. ताकि व्यक्ति गायों को उनका सही आहार खिला सकें और सच में पुण्य कमा सकें.
गायों को खीर, पूरी, हलवा और रोटी न खिलाएं
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. जय प्रकाश के अनुसार, गौवंश की मौत के पीछे का मुख्य कारण इन्हें खिलाएं गए पकवान आदि हैं. देखा जाए तो हिंदू धर्म में पूजा-पाठ व पितरों और पूर्वजों की आत्मा शांति की लिए अक्सर खीर, पूरी, हलवा, रोटी इत्यादि पकवान गायों को खिलाए जाते हैं, जोकि इनके लिए हानिकारक साबित होते हैं. इन पकवानों को खिलाएं जाने के कारण गायों की लगातार मौत हो रही है. गौवंश की सुरक्षा के लिए यह पकवान इन्हें नहीं खिलाने चाहिए.
पशुओं की मौत का कारण एसिडोसिस और गैस
डॉ जय प्रकाश के अनुसार, अमावस्या के दिन गौवंश को खीर, पूरी, हलवा, रोटी इत्यादि पकवान ज्यादा मात्रा में न खिलाएं. क्योंकि इन चीजों का अधिक मात्रा में सेवन करने से पशुओं में एसिडोसिस और गैस बन जाती है. इससे पशु को अफारा की समस्या हो जाती है और फिर सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, ऐसे में पशु के बचने की संभावना बहुत कम रह जाती है.
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उन्होंने कहा कि ऐसे में पुण्य के लिए किया गया कार्य पाप का भागीदार बन जाता है. उन्होंने क्षेत्र के लोगों से आग्रह किया कि वे दान-पुण्य के लिए गौवंश का उनका आहार चारा, हरा चारा, व गुड़ इत्यादि ही खिलाएं. उन्होंने कहा कि गायों को हरा चारा ही खिलाएं, यही उनका उत्तम आहार है. वहीं सही मायने में पुण्य का कार्य होगा.