अपनी आय को अधिक करने के लिए आजकल सभी किसान भाई खेतीबाड़ी के साथ – साथ पशुपालन व्यवसाय में भी अपनी रूचि बढ़ा रहे है, क्योंकि पशुपालन व्यवसाय में लागत से ज्यादा मुनाफा प्राप्त होता है. इसी क्रम में पशुपालन के बढ़ते क्रेज को देख आज हम पशुपालकों के लिए ऊंट पशुपालन यानि की Camel Farming की जानकारी लेकर आये हैं, जो पशुपालकों के लिए मुनाफेदार साबित होगी.
आयुर्वेद के अनुसार ऊंटनी के दूध में कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो विभिन्न बीमारियों से बचाव करने में सहायक होते हैं, साथ ही ऊंट बोझा ढोना इत्यादि कार्यों के लिए भी इस्तेमाल में होने लगा है. इसके चलते इसकी मांग बाज़ार में भी काफी बढ़ रही है. तो यदि पशुपालक ऊंट पशुपालन यानि की Camel Farming करते हैं, तो वे महीने भर में लागत से दोगुना मुनाफा कमा सकते हैं.
ऊंट पालन के सरकार भी कर रही आर्थिक मदद (The Government Is Also Providing Financial Help For Camel Rearing)
पशुपालकों के बीच बढ़ते ऊंट पालन की रूचि को देख सरकार भी सरकरी योजनाओं के तहत अनुदान राशि भी प्रदान कर रही है. साथ ही ऊंट के दूध को बेचने के लिए सरकार की तरफ से सरकारी डेयरी आरसीडीऍफ (RCDF) का निर्माण भी किया जा रहा है, ताकि पशुपालकों को ऊंट के दूध को बेचने के लिए इधर – उधर भटकना ने पड़े.
ऊंट पालन के लिए प्रशिक्षण (Camel Rearing Training)
वहीँ पशुपालकों की आय को दोगुनी करने के लिए एवं ऊंट पालन के के लिए किसानों को जागरूक करने के लिए समय – समय पर सरकार की तरफ से प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे हैं.
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ऊंट की मुख्य प्रजातियाँ (Main Species Of Camel)
पूरे भारत में ऊंट की 9 मुख्य नस्लें पाई जाती हैं, जो मुख्यरूप से इस प्रकार है, सबसे पहले राजस्थान की बात करते हैं, जहाँ बीकानेरी, मारवाड़ी, जालोरी, जैसलमेरी व मेवाड़ी नस्लें पाई जाती हैं, तो वहीं गुजरात में कच्छी और खरई नस्लें पाई जाती ह, मध्यप्रदेश की बात करें, तो यहाँ ऊंट की मालवी नस्ल पाई जाती है एवं हरियाणा में मेवाती नस्ल पाई जाती है. इसके साथ ही एक महत्वपूर्ण जानकारी पशुपालकों के लिए है कि व्यापारिक स्तर पर ऊंट की बीकानेरी व जैसलमेरी नस्ल काफी उपयुक्त मानी गई हैं, क्योंकि इनमें शुष्क पर्यावरण में जीने की जबरदस्त क्षमता होती है.
ऊंट पालन के लिए आवश्यक चीज (Items Needed For Camel Rearing)
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ऊंट के घूमने फिरने के लिए उचित जगह होनी चाहिए.
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भोजन का लिए हरा चारा की व्यवस्था होनी चाहिए.
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समय समय पर टीकाकरण करवाएं, ताकि बीमारियों से बचाव हो सके.