किसानों और पशुपालकों के लिए आज के आधुनिक समय में कई सारे बिजनेस है, जिससे वह कम समय में लाभ प्राप्त कर सकते हैं. लेकिन किसी भी व्यवसाय से लाभ पाने के लिए व्यक्ति को कई बातों का ध्यान रखना होता हैं. अगर आप मछली पालन (Fish farming) कर रहे हैं, लेकिन जितनी आप लागत लगाते हैं उतना कम आपको फल मिलता है. इसका मुख्य कारण यह है कि तालाब में कई सारी मछलियां पहले ही मर जाती है.
आप एक तालाब में करीब 100 मछली के बीज (fish seed) डालते हैं, तो उनमें से 25 से 35 फीसदी ही पल पाती हैं. भारतीय बाजार में मछली पालन के बीज में सबसे अधिक बिकने वाला बीज जीरा साइज है. तो आइए के इस लेख में हम आपको आज बताएंगे कि एक मछली पालन (Fisheries) में कितने दिन का समय लगता है और उसके लिए आपको क्या-क्या करना होता है.
देश के किन हिस्सों में तैयार की जाती है बीज
मिली जानकारी के मुताबिक, भारत के आंध्र प्रदेश के साथ दूसरी जगहों से भी मछली पालन के बीज (fish farming seeds) तैयार किए जाते हैं. जैसा कि आपको ऊपर बताया गया कि सबसे ज्यादा बिकने वाला व उन्नत बीज जीरा साइज है. बता दें कि इसके एक-एक हजार बीज के पैकेट बाजार में मिलते हैं.
इसके लिए आपको ज्यादा कुछ करने की आवश्यकता नहीं है. बस पैकेट को बाजार से खरीदकर लाना है और फिर बीजों को तालाब में डाल देना है. लेकिन ऐसा करने से आपको अधिक लाभ नहीं मिलेगा. देखा गया है कि पैकेट में उपलब्ध बीज ज्यादातर ट्रांसपोर्ट के दौरान ही खराब हो जाते हैं.
बीजों को नर्सरी में रखें
अगर आप पैकेट वाले मछली के बीज को सबसे पहले नर्सरी में लगाते हैं, तो बीज 35 से 40 प्रतिशत तक सफल रहते हैं. लेकिन इस प्रक्रिया में 3 से 6 महीने तक का समय लगता है. इस दौरान आपको बीज को सरसों की खल (mustard seed) व चावल के छिलके का चूरा खिलाया जाता है. ऐसा करने से मछली शुरुआत से ही स्वास्थ्य रहती है.
मछली पालन के लिए तालाब का पानी सबसे अहम भूमिका निभाता है. पानी स्वच्छ होना चाहिए और साथ ही तालाब के अंदर मछलियों को खाने के लिए कुछ न कुछ जरूर देते रहे. ताकि वह स्वस्थ रहे और हो सके तो उन्होंने जितना हो सके बीमारी से दूर रखें.
ये भी पढ़ें: SBI पशुपालन लोन की सुविधा पशुपालक ऐसे करें प्राप्त
अगर आप तालाब में भैंसें को उतारा है, तो आप रोहू, कतला और नैनी ब्रीड जैसी मछलियों लगभग 18 महीने में सरलता से प्राप्त कर सकते हैं. इनका वजन 2 किलों से भी कहीं अधिक आपको प्राप्त होगा. भारत के कई राज्यों में इस तरह की मछलियों को खास पसंद किया जाता है.