केंद्र सरकार मे ‘सेवा भोज योजना’ (Seva Bhoj Yojana) शुरू की है. इस योजना के तहत लंगर, सामाजिक और धार्मिक कामों में दिए जाने वाले खाने को बनाने में जिन वस्तुओं का इस्तेमाल होता है, उन सामग्रियों पर लगने वाला गुड एंड सर्विस टैक्स (GST) सरकार द्वारा वापस किया जाएगा.
बता दें कि सरकार की इस योजना से उन लोगों पर खर्चे का बोझ कम होगा, जो चैरिटेबल रिलीजियस इंस्टीटूशन्स द्वारा मुफ्त में लोगों को खाना खिलाते हैं.
क्या है ‘सेवा भोज योजना (What is 'Seva Bhoj Yojana)
आपको बता दें कि अगर आप बाजार से कोई भी पैक्ड सामान खरीदते हैं, तो उसके लिए आपको गुड एंड सर्विस टैक्स (GST) देना होगा. अब तक ये टैक्स चैरिटेबल रिलीजियस इंस्टीटूशन्स जैसी की मंदिर, गुरुद्वारा, मस्जिद, चर्च आदि में लागू होता था. जहां पर श्रद्धालु को मुफ्त खाना दिया जाता है. इस टैक्स से चैरिटेबल रिलीजियस इंस्टीटूशन्स पर आर्थिक बोझ पड़ने लगा था, इसलिए सरकार ने ‘सेवा भोज योजना’ शुरू की है. जिसमें सरकार चैरिटेबल रिलीजियस इंस्टीटूशन्स की सामग्रियों पर लगने वाले गुड एंड सर्विस टैक्स (GST) के पैसों को रिफंड कर देगी.
जानिए कब शुरू हुई योजना (Know when the scheme started)
1 जून 2018 को संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सेवा भोज योजना शुरू करने का ऐलान किया गया. सरकार द्वारा इस योजना का शुभारंभ 1 अगस्त 2018 में हुआ. इस योजना के लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 और 2019-20 में 350 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है. इस योजना का मुख्य मकसद समाज में सेवा ओए सद्भाव को बढ़ावा देना है.
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धार्मिक संस्थाओं द्वारा अनिर्मित खाद्य वस्तुओं पर लगने वाले सेवाकर (सीजीएसटी) व एकीकृत वस्तु और सेवाकर (आईजीएसटी) वापस को वापस करना है, ताकि सामाजिक काम कर रहे लोगों पर किसी तरह का बोझ सरकार की ओर से ना दिया जाए. इससे लोग पर कर का दबाव नहीं रहेगा और वो खुले मन से सामाजिक कार्य कर सकेंगे.
क्या है योजना का बजट (What is the budget of the scheme)
‘सेवा भोज योजना’ से जुड़े हुए नोटिफिकेशन के मुताबिक, सेंट्रल गवर्नमेंट इस स्कीम के लिए 325 करोड़ रुपए का बजट तैयार किया है. बता दें कि ये बजट फाइनेंसियल ईयर 2018-19 और 2019-20 के लिए बनाया गया है.