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Updated on: 4 June, 2025 12:00 AM IST
बिहार के सुगंधित कतरनी धान की खेती (सांकेतिक तस्वीर)

Subsidy Scheme: बिहार का सुगंधित चावल 'कतरनी धान' अब देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में अपनी महक और स्वाद से लोकप्रिय हो रहा है. इसे और बढ़ावा देने के लिए अब बिहार सरकार किसानों को प्रति एकड़ 6,000 रुपए तक की सब्सिडी दे रही है. इस पहल का उद्देश्य कतरनी की खेती का रकबा बढ़ाकर 800 एकड़ से 2000 एकड़ तक करना है.

आइए राज्य सरकार के द्वारा दी जा रही इस योजना के लाभ की हर एक डिटेल विस्तार से जानते हैं...

क्या है कतरनी धान की खासियत?

कतरनी धान को GI टैग प्राप्त है, जो इसकी गुणवत्ता और क्षेत्रीय पहचान को दर्शाता है. यह धान खासकर अपनी सुगंध और स्वाद के लिए पहचाना जाता है, और बिहार के सीमित क्षेत्रों में ही इसकी पारंपरिक खेती होती रही है.

सब्सिडी कैसे मिलेगी?

सरकार की योजना के अनुसार किसानों को दो किस्तों में कुल 6,000 रुपए की सहायता राशि दी जाएगी:

  • पहली किस्त 3,000 रुपए, रोपनी के बाद मिलेगी, जब कृषि विभाग के अधिकारी फसल का भौतिक सत्यापन करेंगे.
  • दूसरी किस्त 3,000 रुपए, धान की बाली निकलने के बाद दी जाएगी.
  • इससे किसानों को खेती में प्रोत्साहन मिलेगा और उनकी लागत का बोझ भी कम होगा.

किन क्षेत्रों को किया गया चयनित?

कतरनी धान की खेती को बढ़ावा देने के लिए भागलपुर, बांका और मुंगेर जिलों के कई ब्लॉक चयनित किए गए हैं. इनमें प्रमुख हैं:-

  • भागलपुर जिले में: सुल्तानगंज, शाहकुंड, सन्हौला, गौराडीह, जगदीशपुर
  • बांका जिले में: रजौन, अमरपुर, बौंसी, बाराहाट
  • मुंगेर जिले में: चुने गए कुछ खेती क्षेत्र

आवेदन प्रक्रिया और बीज सुविधा

इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान बीज निगम पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU), सबौर द्वारा प्रमाणित कतरनी धान का बीज रियायती दर पर उपलब्ध कराया जा रहा है.

किसानों को किया जा रहा जागरूक

भागलपुरी कतरनी उत्पादक संघ और BAU सबौर की मदद से किसानों के बीच लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक किसान जैविक और आधुनिक तकनीकों से इस पारंपरिक धान की खेती करें अब मौसम के अनुकूल होने और सरकारी सहयोग के चलते यह उम्मीद की जा रही है कि कतरनी धान की महक देश-दुनिया में और भी तेज़ी से फैलेगी.

English Summary: Katarni Paddy Cultivation bihar government giving subsidy of up to 6,000 Rupees per acre
Published on: 04 June 2025, 02:46 IST

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