किसानों को प्रोत्साहित करने और कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकार अलग-अलग हथकंडे अपनाती रहती है. कुछ ऐसा ही योगी सरकार ने भी कर दिखाया है. हमारे लिए यह अफ़सोस की बात है कि हम आज भी कृषि से खुद को जोड़ने में कतराते हैं.
भले ही हमारे पास कितनी भी जमीनें क्यों ना हो, लेकिन फिर भी रोज़ी-रोटी के लिए हम अन्य काम करना पसंद करते हैं. यही वजह है कि कृषि क्षेत्र आज भी इतना पीछे रह गया है. एक तरफ जहाँ हम चाँद पर पूरी तरह खुद को ले जाने का प्रयास कर रहे हैं. वहां आज भी बहुत कुछ ऐसा है, जिससे किसान परेशान हैं.
ऐसे में किसानों की आय दोगुनी करने और कृषि क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कदम बढ़ाया है. दरअसल, आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना के क्रियान्वयन के लिए आदेश जारी हो गया है. कोरोना काल के बाद से सरकार और आम जनता भी खुद को आत्मनिर्भर बनाने की राह पर निकल चुकी है. ऐसे में किसानों को सरकार का साथ मिलना वाकई बड़ी बात है.
सूबे की सरकार वित्तीय वर्ष 2021-22 में 100 करोड़ रुपये खर्च करेगी, साथ ही अगले वर्षों में इतनी ही धनराशि हर साल खर्च करने की तैयारी है. कृषि व इससे जुड़े विभाग उद्यान, खाद्य प्रसंस्करण, गन्ना, दुग्ध विकास, मत्स्य, पशुधन व मंडी परिषद से सामंजस्य बनाकर हर ब्लाक में कृषि उत्पादक संगठन (एफपीओ) तैयार करके अवस्थापना सुविधा बढ़ाई जाएंगी. जिससे किसान हर क्षेत्र में खुद को आगे लेकर जा सकें.
मौजूदा हालात पर अगर नज़र डालें, तो कृषि कार्य कभी सिमटा हुआ नज़र आता ही ज़रूरी है. इसको उच्च अस्तर पर बढ़ाने की. कृषि उत्पादन को देखते हुए प्रदेश को नौ एग्रो क्लाईमेटिक जोन में बांटा गया है. हर जोन में अधिक उत्पादकता वाली फसलों को चिन्हित किया जाएगा. चयनित फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नई तकनीक व निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा. उत्पादों का मूल्य बढ़वाने व उनके लिए बाजार का विकास होगा. ऐसे ही एफपीओ की व्यावसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाएगा.
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पांच साल में 1000 एफपीओ का लक्ष्य :
केंद्र सरकार 10 हजार एफपीओ गठित कर रही है. इसमें से 200 एफपीओ बनाने का लक्ष्य प्रदेश को मिलने की उम्मीद है. इसी संख्या में अगले पांच वर्ष में 1000 एफपीओ गठित होंगे. उनके गठन, संचालन व प्रबंधन पर 43 लाख रुपये प्रति एफपीओ खर्च होंगे. हर ब्लाक में एक एफपीओ गठित किए जा रहे हैं. ये प्रयास अगले तीन वर्ष तक जारी रहेगा और 1475 एफपीओ गठित करके उन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा. इस योजना के क्रियान्वयन का नोडल विभाग कृषि होगा और 14.75 लाख शेयर होल्डर किसानों को सीधा लाभ मिल सकेगा.
क्या है एफपीओ (FPO)
एफपीओ यानी किसानी उत्पादक संगठन (कृषक उत्पादक कंपनी) किसानों का एक समूह होगा, जो कृषि उत्पादन कार्य में लगा हो और कृषि से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियां चलाएगा. एक समूह बनाकर आप कंपनी एक्ट में रजिस्टर्ड करवा सकते हैं.