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Updated on: 7 May, 2019 12:00 AM IST

राजस्थान के नागौर जिले में कई किसान परंपरागत खेती से थोड़ा हटकर तकनीकी खेती का सहारा लेकर सिर्फ अपनी पैदावार और इतनी कमाई नहीं बढ़ा पा रहे है बल्कि कई सैकड़ों युवा किसानों को इसके लिए प्रेरित भी कर रहे है। दरअसल खेती बाड़ी को छोड़ चुके कई लोगों को इन्होंने तकनीक और आसान पद्दतियों के सहारे आसानी से दोबारा जोड़ा है। यहं जिले के  कुल 32 किसान 3 साल से खेतों पर पॉली हाउस तैयार करके खेती कर रहे है। परंपरागत खेती की तुलना में पॉली हाउस से खेती में 5 गुना ज्यादा तक आय भी प्राप्त कर रहे है। किसानों का कहना है कि जिले में कम जमीन होने के कारण पहले गेहूं और मक्के की फसल लेते थे जिससे एक बीघा में 10 हजार रूपए तक की आय प्राप्त होती थी। पॉली हाउस को लगाने के बाद एक महीने में 50 हजार रूपए तक की आय हो जाती है।

कट्टों में मिट्टी डालकर खेती शुरू की

पॉली हाउस में सबसे ज्यादा समस्या हिमेटो परजीवी की आती है जो कि फसल को बर्बाद कर देते है। इसके लिए कोको पीट से उत्पादन करना होता है। यह काफी ज्यादा महंगा पड़ता है। किसानों ने खर्चे को बचाने के लिए प्लास्टिक के कट्टों में मिट्टी डाली और उसमें उत्पादन शुरू किया है। दो उत्पादन लेने के बाद जैसे ही लगा किहिमेटो लग सकता है तो इस मिट्टी को खाली करके दूसरी मिट्टी के कट्टों में डाली।

मिल रही सब्सिडी

दरअसल यहां के किसानों ने इस पॉली हाउस को राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत 1000, 2000 और 4000 स्कावायर मीटर में लगाए जाते है। 2 हजार स्क्वायर मीटर में लगाने के लिए करीब 20 लाख रूपए की लागत आती है। सामान्य किसानों को सरकार से 50 प्रतिशत और लघु, सीमांत किसानों को एससी, एसटी को 70 प्रतिशत की सब्सिडी सरकार की ओर से प्रदान की जाती है। एक किसान को करीब 7 लाख वहन करने पड़ते है, यहां तक कि पहली उत्पादन में लगने वाली करीब 2.50 लाख रूपए की लागत को भी सरकार वहन करती है। इस तरह से काफी ज्यादा सरकारी सहायता के जरिए किसानों को फायदा हो रहा है।

English Summary: 70 percent subsidy given to the government on the cultivation of vegetable farming in Poly House
Published on: 07 May 2019, 05:55 IST

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