किसानों के लिए वरदान बनी हाइब्रिड गाजर ‘हिसार रसीली’, कम समय में मिल रहा है अधिक मुनाफा, जानें खेती का तरीका और विशेषताएं कृषि ड्रोन खरीदने पर मिलेगा 3.65 लाख रुपए तक का अनुदान, ऐसे उठाएं राज्य सरकार की योजना का लाभ, जानें डिटेल खुशखबरी! LPG गैस सिलेंडर में हुई भारी कटौती, जानें कहां कितने रुपए हुआ सस्ता किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 19 April, 2018 12:00 AM IST

उपजायें तो क्या उपजायें 

उपजायें तो क्या उपजायें

कि खेत से खलिहान होती हुई फसल

पहुँच सके घर के बण्डों तक

मंडियों में पुरे दाम तुले अनाज के ढेर। 

कि साहूकार की तिजोरी से निकालकर

घरवाली के हाथ थमा सके

कड़कड़ाट नोटों की गड्डियां।

की साल दर साल

कभी न लेना पड़े बैंक से नोड्यूज 

घंटो पंक्तिबद्ध होकर न करना पड़े इंतज़ार

सफ़ेद - काले  खाद के लिए 

उपजायें तो क्या उपजायें

खंड 2  

उपजायें तो क्या उपजायें

हर ओर पसरी है खरपतवार

रसायनो ने भस्म करदी उर्वरता

आत्मीयता मुक्त हो रहे है खेत 

धरती में गहरे जा पैठा है जल

कभी-कभार होती है बिजली के तारो में

झनझनाहट

धोरे में ही दम तोड़ रहा है चुल्लू भर पानी। 

उपजायें तो क्या उपजायें

बीघों से बिसवो में बंटते जा रहे है खेत

सुई की नोक भर ज़मीन के लिए

कुनबे रच रहे है कुरुक्षेत्र की साजिश।  

उपजायें तो क्या उपजायें 

उपजायें तो क्या उपजायें

यूँ ही भूख बो कर काटते रहें

खुदकुशियों की फसल 

या फिर

जिस दरांती से से काटते आये फसल

उसी दरांती से काट डाले

प्रलोभनों के फँदे

साहूकार-सफेदपोशों के गले। 

यूँ ही सिसकियाँ और रुदन बोकर

आंसुओं से सींचते रहे धरा। 

या फिर

इंकलाब की हुंकार से

धराशायी करदे चमचमाते महल

चटका दे संगमरमरी आँगन। 

पसीने से सींचकर उगा दे

रक्तबीज

निकल पड़े नया इतिहास गढ़ने ।  

English Summary: OM NAGAR
Published on: 19 April 2018, 05:52 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now