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Updated on: 5 June, 2020 12:00 AM IST

धतूरे को झाड़ी वाले पौधों की श्रेणी में रखा गया है. कई तरह के रोगों के उपचार में इसका उपयोग होता है. इसका तना 60 से 150 से.मी तक लम्बा हो सकता है एवं इसके फूलों का रंग सफेद होता है. धतूरे की खेती बहुत आसानी से समुद्र सतह से 1500 मीटर की ऊंचाई पर हो सकती है. इसके बीजों से तेल तैयार किया जाता है, जो व्यापार की दृष्टि से फायदेमंद है. इसी तरह इसके पंत्तियों की भी खूब मांग है. हालांकि इसका व्यापार सामान्य नहीं होता, क्योंकि यह एक विषैला तथा मादक पौधा है. चलिए आपको इसकी खेती के बारे में बताते हैं.

मिट्टी

वैसे इस पौधे की खेती किसी भी तरह की भूमि में हो सकती है, लेकिन फिर भी इसके संपूर्ण विकास एवं अच्छे पैदावार के लिए चिकनी दामोट मिट्टी फायदेमंद है. इस पौधें के विकास में सूर्य की सीधी रोशनी सहायक है.

खेत की तैयारी

इसकी खेती से पहले भूमि की अच्छे से जुताई कर उसे समतल कर लें. आप चाहें तो जैविक खादों का उपयोग भी कर सकते हैं.

बुवाई

इसकी बुवाई गर्मी के मौसम में की जाती है. बीजों की बुवाई से पहले उन्हें 12 घंटे तक पानी में भिगोकर रखना फायदेमंद है. इससे अंकुरण अच्छा होता है.

सिंचाई

इस पौधे को विशेष सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती. हर 14 दिनों के अतंराल पर सिंचाई करना भी पर्याप्त है. बरसात के दिनों में ध्यान रहे कि खेतों में जल जमाव न हो.

कटाई

इसकी पहली कटाई जुलाई में एवं दूसरी कटाई अक्टुबर में होती है. इसकी पत्तियों तथा शाखाओं को कटाई के बाद छाए में सुखाया जाता है.

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English Summary: this is the right method of Daturas farming know more about Daturas and profit
Published on: 05 June 2020, 01:59 IST

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