Success Story: चायवाला से उद्यमी बने अजय स्वामी, मासिक आमदनी 1.5 लाख रुपये तक, पढ़ें सफलता की कहानी ट्रैक्टर खरीदने से पहले किसान इन बातों का रखें ध्यान, नहीं उठाना पड़ेगा नुकसान! ICAR ने विकसित की पूसा गोल्डन चेरी टमाटर-2 की किस्म, 100 क्विंटल तक मिलेगी पैदावार IFFCO नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी केंद्र की मंजूरी, तीन साल के लिए किया अधिसूचित एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 5 June, 2020 12:00 AM IST

धतूरे को झाड़ी वाले पौधों की श्रेणी में रखा गया है. कई तरह के रोगों के उपचार में इसका उपयोग होता है. इसका तना 60 से 150 से.मी तक लम्बा हो सकता है एवं इसके फूलों का रंग सफेद होता है. धतूरे की खेती बहुत आसानी से समुद्र सतह से 1500 मीटर की ऊंचाई पर हो सकती है. इसके बीजों से तेल तैयार किया जाता है, जो व्यापार की दृष्टि से फायदेमंद है. इसी तरह इसके पंत्तियों की भी खूब मांग है. हालांकि इसका व्यापार सामान्य नहीं होता, क्योंकि यह एक विषैला तथा मादक पौधा है. चलिए आपको इसकी खेती के बारे में बताते हैं.

मिट्टी

वैसे इस पौधे की खेती किसी भी तरह की भूमि में हो सकती है, लेकिन फिर भी इसके संपूर्ण विकास एवं अच्छे पैदावार के लिए चिकनी दामोट मिट्टी फायदेमंद है. इस पौधें के विकास में सूर्य की सीधी रोशनी सहायक है.

खेत की तैयारी

इसकी खेती से पहले भूमि की अच्छे से जुताई कर उसे समतल कर लें. आप चाहें तो जैविक खादों का उपयोग भी कर सकते हैं.

बुवाई

इसकी बुवाई गर्मी के मौसम में की जाती है. बीजों की बुवाई से पहले उन्हें 12 घंटे तक पानी में भिगोकर रखना फायदेमंद है. इससे अंकुरण अच्छा होता है.

सिंचाई

इस पौधे को विशेष सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती. हर 14 दिनों के अतंराल पर सिंचाई करना भी पर्याप्त है. बरसात के दिनों में ध्यान रहे कि खेतों में जल जमाव न हो.

कटाई

इसकी पहली कटाई जुलाई में एवं दूसरी कटाई अक्टुबर में होती है. इसकी पत्तियों तथा शाखाओं को कटाई के बाद छाए में सुखाया जाता है.

(आपको हमारी खबर कैसी लगी? इस बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें. इसी तरह अगर आप पशुपालन, किसानी, सरकारी योजनाओं आदि के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो वो भी बताएं. आपके हर संभव सवाल का जवाब कृषि जागरण देने की कोशिश करेगा)

ये खबर भी पढ़ें: जानिए क्या है भारतीय मसालों का ग्रहों से संबंध और इनके राज

English Summary: this is the right method of Daturas farming know more about Daturas and profit
Published on: 05 June 2020, 01:59 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now