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Updated on: 30 September, 2019 12:00 AM IST

औषधीय गुणों से युक्त पौधों में सर्पगंधा का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. इसका वास्ताविक नाम रावोल्फिया सर्पेटीना है. यह पुष्पीय पौधों के द्विबीजपत्रीय कुल एपोसाइनसी का सदस्य है. अंग्रेजी में इसे सर्पेटीन और स्नेक रूट नामों से जाना जाता है. इसके पौधे की ऊंचाई 6 इंच से 2 फीट तक होता है. इसका तना मोटी छाल से ढका रहता है. भारत में इसकी खेती समतल और पर्वतीय क्षेत्रों में की जाती है. सर्पगंधा के फूल सफेद रंग के होते है. इसकी जड़े काफी गहराई तक होती है. सर्पगंधा का प्रयोग मुख्य रूप से सर्प के काटने पर किया जाता है. इस पौधे की जड़े, तना और पत्ती से दवा का निर्माण किया जाता है. इसका उपयोग मस्तिष्क के लिए औषधि बनाने में भी उपयोग में लिया जाता है.

इन इलाकों में मिलता है पौधा

यह उष्ण कंटिबंधीय हिमालय और हिमालय के सभी निचले प्रदेशों में सिक्किम है. यह वनस्पति असम में भी पाई जाती है. प्रायद्पीय भारत में सर्पगंधा पश्चिमी तट के किनारे पाया जाता है. भारत के अतिरिक्त श्रीलंका, म्यांमार, मलेशिया, इंडोनेशिया, चीन और जापान में वितरित किए जाते रहेंगे.

औषधीय गुण से भरपूर है सर्पगंधा

सर्पगंधा के औषधीय गुण मुख्य रूप से पौधों की जड़ों में पाए जाते है. इसकी जड़ में 55 से ज्यादा क्षार पाए जाते है. लगभग 80 प्रतिशत क्षार जड़ों की छाल में केंद्रित होते है., इसका जड़ का रस और अर्क उच्च रक्तचाप की बहुमूल्य औषधि है. साथ ही हिस्टीरिया के इलाज में भी सर्पगंधा सहायक है. इसकी पत्तियों के रस का प्रयोग नेत्र की ज्योति को बढ़ाने में लाभदायक होता है. साथ ही यह मानसिक विकारों के उपचार के लिए भी जरूरी है.

संकट में है सर्पगंधा

चूंकि सर्पगंधा एक औषधीय वनस्पति है, अतः इसका संरक्षण करना आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है. यहां पर संरक्षण और बहि स्थल विधियों को अपनाकर देश में संकटग्रस्त सर्पगंधा को संरक्षण प्रदान किया जा रहा है. सर्पगंधा के अभ्यारण के प्राकृतिक आवासों को जीन अभ्यारणों में परिवर्तितत करने की आवश्यकता है.

English Summary: The medicinal properties of serpagandha is a boon for health
Published on: 30 September 2019, 06:03 IST

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