पर्वतीय क्षेत्रों में एक औषधीय पौधा उगता है, जिसे 'कुणजा'(Kunja Plant) के नाम से जाना जाता है. इसका वानस्पति नाम आर्टीमीसियावलगेरिस है. भले ही स्थानीय स्तर पर इस पौधे का उपयोग ज्यादा नहीं है, लेकिन पड़ोसी मुल्क चीन में 'कुणजा' कई काश्तकारों की आर्थिकी का मुख्य जरिया है.
दरअसल, कुणजामें तमाम औषधीय गुण (All medicinal properties in Kunja) पाए जाते हैं. इसके तेल को बतौर कीटनाशक प्रयोग में लाया जाता है. अभी तक उत्तराखंड में कुणजा को सगंध और औषधीय पौधों की खेती से जोड़ा नहीं गया है और न ही इसके लिए किसी तरह का ठोस कदम उठाया गया है.
मगर आमतौर पर बड़े-बुजुर्ग दाद, खाज, खुजली में कुणजा का प्रयोग करते हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि बुजुर्गों को स्थानीय स्तर पर इस पौधे के औषधीय गुणों की जानकारी है, लेकिन अभी तक किसानों ने इस पौधे को अपनी आर्थिकी का जरिया नहीं बनाया है.
क्या है कुणजा का पौधा ? (What is Kunja Plant)
बताया जाता है कि यह पौधा साल के बारह महीने उगता है. चीन में इस पौधे को 'मुगवर्ट' के नाम से जाना जाता है. चीन में इस पौधे के1 लीटर तेल कोएक हजार से बारह सौ रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बेचा जाता है. यहां न सिर्फ कुणजा के पौधे से तेल निकाला जाता है, बल्कि कई औषधियों में इसे मुख्य घटक के रूप में प्रयोग किया जाता है.
आमदनी बढ़ा सकता है कुणजा पौधे का तेल (Can increase income Kunja plant oil)
पहाड़ की गोद में कई ऐसे पौधे व घास हैं, जो आर्थिकी का प्रमुख आधार बन सकते हैं. बता दें कि पहाड़ों में रोसाघास (पामारोजा), लैमनग्रास और जावाघास (सिट्रानेला) ऐसी घासें हैं, जिनका तेल निकालकर आर्थिकी का जरिया बनाया जा सकता है. मगर कुणजा की तरफ किसी ने कोई विशेष ध्यान नहीं दिया है.