पर्वतीय क्षेत्रों में उगने वाला कुणजा, जिसका वानस्पतिक नाम आर्टीमीसिया वलगेरिस है, उसका स्थानीय स्तर पर भले ही काफी ज्यादा उपयोग और कोई अहमियत न हो. लेकिन हमारे देश के पड़ोसी मुल्क चीन में भी कुणजा कई तरह के कश्तकारों की आर्थिकी का मुख्य जरिया होता है. कुणजा एक औषधीय गुणों से भरा पौधा है, इसके तेल को कीटनाशक के तौर पर प्रयोग में लाया जाता है. इतना ही नहीं कुणजा का प्रयोग बड़े-बुजुर्ग दाद, खुजली में आमतौर पर करते है. इससे साफ जाहिर होता है कि स्थानीय स्तर पर बुजुर्गों को इसके औषधीय गुणों की जानकारी काफी है, लेकिन आज तक इसको किसानों ने आर्थिकी का जरिया नहीं बनाया है.
क्या होता है कुणजा
स्थानीय स्तर पर परंपरागत तौर पर कुणजा के नाम से पहचाने जाने वाला पौधे का वानसप्तिक नाम आर्टीमीसियावलगेरिस है. यह साल के बारह महीने उगने वाले इस पौधे को चीन में मुगवर्ट के नाम से जाना जाता है. बता दें कि चीन में कुणजा का एक लीटर तेल एक हजार से बारह सौ रूपये प्रति लीटर के हिसाब से बेचा जाता है. इतना ही नहीं, चीन में कुणजा का न केवल तेल बनाया जाता है, बल्कि कई तरह औषधियों में भी इसको मुख्य घटक के रूप में प्रयोग किया जाता है.
तेल बन सकता है आर्थिकी आधार कुणजा
कुणजा देश के पहाड़ों में लगने वाली एक ऐसी घास है जो कि आर्थिकी का प्रमुख आधार बन सकती है. पहाड़ों में पाई जाने वाली लैमनग्रास, रोमाघास और जावाघास एक ऐसी घास है जिनका तेल निकाल कर अच्छी खासी कमाई की जा सकती है और भारी मुनाफा कमाया जा सकता है. लेकिन यह चिंता की बात है कि अभी तक कुणजा की खेती को बढ़ाने पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया है.
केंद्र सरकार कर रही प्रेरित
कुणजा घास को लेकर अभी तक कोई भी विशेष रूप से ध्यान नहीं दिया गया है. पहाड़ की गोद में बहुत सारी घास काफी महत्वपूर्ण है जिनपर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.
औषधीय गुणों से भरपूर सर्पगंधा है बड़े ही काम का पौधा