आज जब विज्ञान काफी तरक्की कर चुका है फिर भी कुछ रोग ऐसे है जिनके आगे विज्ञान बेबस नज़र आता है. ऍलोपैथी की भारी दवाईयां, सर्जरी और ऑपरेशन के बावजूद भी शरीर को रोग से छुटकारा नहीं मिलता. ऐसा ही एक असाध्य रोग है - 'कैंसर'. इस रोग के विषय में आज भी यही कहा जाता है कि जिसे यह रोग लगा तो फिर ठीक नहीं हुआ.
परंतु आज हम आपको कैंसर और इसे काटने वाले एक ऐसे काढ़े के बारे में बताएंगे, जो न सिर्फ शुरुआती कैंसर बल्कि दूसरे और तीसरे स्टेज के कैंसर को भी ठीक कर देगा. इस लेख को ध्यानपूर्वक और पूरी सजगता के साथ पढ़ें -
क्यों होता है कैंसर
रोग का इलाज करने से पूर्व आपको रोग के विषय में बता दें. हमारा शरीर अनगिनत सैल्स से बना होता है और इन सैल्स का खून से सीधा संबंध होता है परंतु जब इन सैल्स में परिवर्तन होने लगता है तो इसका असर शरीर के दूसरे भागों में पड़ता है और हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है और धीरे-धीरे शरीर कमज़ोर हो जाता है. इसे ही कैंसर कहते हैं. यह एक बड़ी विचित्र और हैरान करने वाली बात है परंतु सत्य है. दरअसल, हमारे शरीर मे हमेशा से ही कैंसर सैल्स मौजूद रहते हैं परंतु वह उभर कर नहीं आते. लेकिन जब हम अपने शरीर की दिनचर्या और आदतें बदलते हैं तो शरीर में भी परिवर्तन आने शुरु हो जाते हैं. कैंसर के होने के कुछ प्रमुख कारण हैं -
नशे का सेवन ना करें
ईश्वर ने हमें एक स्वस्थ और निरोगी काया दी है परंतु जब हम ईश्वर के दिए हुए इस उपहार के साथ छेड़छाड़ करते हैं तो शरीर कैंसर जैसी बीमारी के चपेट में आ जाता है. वास्तव में किसी भी प्रकार का नशा हमारे शरीर में मौजूद कैंसर सैल्स को शरीर मे जगह देता है और फिर धीरे-धीरे उसे पूरे शरीर में फैलाता है. सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, खैनी, शराब या फिर भांग चाहे किसी भी प्रकार का नशा हो, वह हमारे शरीर में कैंसर के सैल्स को जागृत कर उन्हें सक्रीय कर देता है. इसलिए किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहें.
खानपान भी ज़रुरी है
नशे से दूर रहने का मतलब यह नहीं कि आप अपने खानपान में कुछ भी शामिल करते रहें. जंग फूड या दूसरे खाद्य पदार्थों को अपने भोजन में शामिल न होने दें. नित्य व्यायाम करें, पानी खूब पीएं, हरी सब्जियों का सेवन करें और मांस या दूसरे मांसाहारी भोजन को अधिक न खाएं.
गिलोय और तुलसी का काढ़ा
जिस काढ़े की हम बात कर रहे हैं वह गिलोय और तुलसी के मिश्रण से बनता है. आप लोग जानते हैं या नहीं जानते कि गिलोय और तुलसी, दोनों का ही सेवन हमारे शरीर के खून, सैल्स और प्लेटेटस को बढ़ाने और स्वस्थ रखने के लिए किया जाता है. गिलोय में मौजूद गुण शरीर में कैंसर के सैल्स को खत्म कर खून और सैल्स को साफ कर देते हैं और तुलसी से शरीर पूरी तरह तरोताज़ा हो जाता है.
यह काढ़ा इतना असरकारक है कि अब ऍलोपैथी के डॉक्टर भी कैंसर के रोगी को इसे पीने की सलाह दे रहे हैं क्योंकि बीते कुछ सालों की रिपोर्ट में यह बात साबित हो गयी है कि गिलोय और तुलसी का यह काढ़ा तीसरे स्टेज के कैंसर को भी ठीक कर देता है.