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Updated on: 15 November, 2019 12:00 AM IST
चोरू की खेती और इसके औषधीय फायदे

चोरू एक औषधीय पौधा है जो चोरा के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि इसका वानस्पतिक नाम एंजेलिका ग्लोका है और ये एपीयेसी कुल से संबंध रखता है. इसके जड़ एवं प्रकन्द का विशष तौर पर उपयोग किया जाता है. कई तरह की बीमारियों में इसका उपयोग उपचार के रूप में होता है.

कब्ज, तालु के अल्सर और पेचिश में भी इसका उपयोग औषधी के तौर पर होता है. इसी तरह इसके जड़ों एवं प्रकंदों का प्रयोग घावों के उपचार करने के लिए होता है. ये पौध गैसिटक दर्द की समस्या का भी निवारण करता है. इसके अलावा ये भूख वर्धक, वाताहारक और उत्तेजित करने के गुण रखता है. चलिए आपको इस पौधे की खेती के बारे में बताते हैं.

ऐसा होता है ये चोरू का पौधा (It happens that this Chorus plant)

चोरू का पौधा चिकना, सुगंधित और बारहमासी होता है. आकार में ये छोटा होता है और इसकी लम्बाई दो मीटर के आस-पास होती है. इसके तने खोखले लेकिन जड़ें मोटी होती है.

जलवायु और मिट्टी (climate and soil)

इस पौधे के लिए ठंडे और समशीतोष्ण जलवायु की जरूरत होती है. इसकी खेती 2000-3000 मीटर समुद्र तल की ऊंचाई पर होती है. मिट्टी की बात करें तो इसके लिए गहरी समृध्द मिट्टी की जरूरत पड़ती है.

प्रत्योरोपण और अधिकतम दूरी (Implants and max distance)

अप्रैल से मई माह के दौरान 45 सेमी * 45 सेमी. की दूरी पर बीजों को प्रत्यारोपित किया जाता है. लगभग 50,000 पौधे एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए पर्याप्त होते हैं. इसे कूठ के साथ उगाया जाता है.

सिंचाई (irrigation)

शुष्क मौसम के दौरान सप्ताह में 2 बार सिंचाई करनी चाहिए.

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कटाई (Harvesting)

हर दो वर्ष के बाद इस फसल की कटाई की जाती है. सितंबर-अक्टूबर में बीजों के पकने के बाद जड़ो की कटाई की जा सकती है.

English Summary: farming og Angelica glauca will give you huge profit know the right trick
Published on: 15 November 2019, 03:06 IST

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