औषधीय गुणों से भरपूर बुरांस, पुदीना, और तुलसी अब किसानों का जीवन भी महकाएंगे. दरअसल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के विशेषज्ञों की मदद से ऐसा संभव हो सकता है.दरअसल यहां के विशेषज्ञ इनके उत्पादों की प्रोसेसिंग और पैकेंजिंग में मदद करेंगे. इससे किसानों को बेहतर दाम मिल सकेंगे. बुरांस, तुलसी और पुदीने की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जायेगा. आईआईटी के विशेषज्ञों ने किसानों को प्रो. बदलते दौर में किसानों को जड़ों से जोड़े रखने के लिए आईआईटी के विशेषज्ञों ने किसानों को बुरांस,तुलसी, पुदीने के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के निर्णय लिया है. दरअसल बुरांस के फूलों से आचार, जैम समेत कई तरह के अन्य उत्पादों को तैयार किया जाता है.
बुरांस के फूल
बुरांस के फूल उच्च हिमालयी के ऊंचे क्षेत्रों में 1500 से 3600मीटर की ऊंचाई पर पाए जाते है. मार्च के मध्य में फूल खिलने लगते है. बुरांस के फूल औषधीय गुणों के कारण काफी गुणों के कारण प्रसिद्ध है. देश के अंदर बुंरास के फूलों की कुल 87 प्रजातियां होती है जो कि अलग-अलग हिस्सों में पाई जाती है. इनमें से कुल 12 प्रजातियां हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पाई जाती है. बुरांस का शर्बत हृदय रोगियों के लिए रामबाण माना जाता है. इसका सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में विस्तार होता है. आयुर्वेदिक और होमयोपैथी के कामों में भी बुरांस का काफी प्रयोग किया जाता है.
तुलसी बड़े ही काम की
तुलसी को घर आंगन में सबसे शुभ माना जाता है. इसके पत्ते औषधीय गुणों से भरपूर होते है जो कि की तरह की बीमारियों को दूर करने के काम में आते है. तुलसी का उपयोग सर्दी-जुकाम, खांसी, दंत रोग और श्वास संबंधी रोगों को दूर करने में किया जाता है.
पुदीना है गुणों की खान
पुदीना एक अहम जड़ी बूटी होती है जो कि पाचन तंत्र को सुधारने, वजन को कम करने, डिप्रेशन, थकान और सिरदर्द आदि में आराम देती है. चटनी में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. हिमाचल प्रदेश के ऊंचे क्षेत्रों में इसके उत्पादन की अपार संभावनाएं होती है. आज इसकी मांग बढ़ती ही जा रही है. यह बारहमासी जड़ी होती है. इसका उपयोग काफी बड़ी मात्रा में दवाईयों, सौंदर्य, पेय पदार्थों, सिगरेट, पान मसाला आदि बनाने में किया जाता है.