कम लागत में बड़े मुनाफे वाली खेती करना चाहते हैं, तो बाकुची आपके लिए उपयोगी हो सकती है. जी हां, किसी औषधि की तरह प्रयोग होने वाली बाकुची आपके कमाई का श्रोत बन सकती है. बदलते हुए समय के साथ आज इसका उपयोग कई तरह के कामों के लिए किया जाने लगा है. बड़ी दवा कंपनियां तो इसे हाथों-हाथ लेती है. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.
बीजों में होता है सुगंध
इसके बीजों में एक अलग तरह का सुगंध होता है एवं इसकी पत्तियां एक अंगुल चौड़ी होती है. गुलाबी रंग के उगने वाले इसके फूल आसानी से पहचाने जा सकते हैं. इसके दानों पर छिलका होता है, जिसका रंग काला होता है. खुरदरी छिलके के अंदर सफेद रंग की दालें होती है.
स्वाद
इसका स्वाद कड़वा लेकिन हल्का मीठा होता है. बाकुची का पौधा वर्ष भर उगने में सक्षम है. आम तौर पर इसकी लंबाई 60 से 100 सेमी तक हो सकती है. इसके बीजों पर एक चिपचिपे पदार्थ होता है, जिससे तेल निकाला जाता है.
जलवायु और मिट्टी
इसकी खेती मध्यम बुलई से लेकर काली दोमट मिट्टी पर आसानी से हो सकती है. कम से मध्यम वर्षा वाले उप उष्ण कटिबंधीय जलवायु में अधिक लाभ मिलने की संभावना होती है.
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खेत की तैयारी
इसकी खेती से पहले भूमि की जुताई जरूरी है. दो से तीन बार भूमि को अच्छी तरह जोतकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें. खाद की विशेष जरूरत नहीं है, लेकिन आप मिट्टी की आवश्यकताओं को देखते हुए खाद डाल सकते हैं.
रोपाई
बीजों को कतार में 60 गुणा 30 सेमी की दूरी पर बोना सही है. वैसे आप चाहें तो बाकुची के वृक्षारोपण और बगीचों में अन्य फसल के तौर पर भी इसकी खेती कर सकते हैं.
सिंचाई
इसे अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है. लेकिन फिर भी अगर वर्षा न हो तो आंशिक सूखे की स्थिति हो, तो सिंचाई करें.
कटाई
बुवाई के 200 दिनों में फलियों के बैंगनी होने पर फसल तैयार हो जाती है. इनके सूखने के बाद ही बीज एकत्रित किए जाते है.
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